उन्होंने कहा कि मैं सबसे पहले स्वामी विवेकानंद के चरणों में प्रणाम करता हूं। उनका आज जन्मदिन है। स्वामी जी कहते थे, विशेषकर युवाओं से कहते थे तुम केवल हाड़ मास के पुतले नहीं हो। ईश्वर के अंश हो, अमृत के पुत्र हो, अमर आनंद के भागी हो। उन्होंने कहा कि स्वामी जी कहते थे, जो अपने आप पर भरोसा नहीं करता। भगवान भी उस पर पर विश्वास नहीं करते। भगवान उस पर ही विश्वास करते हैं, जो अपने आप पर विश्वास करते हैं। स्वामी जी एक ऐसी प्रेरणा थे, जिनके विचार आज भी जब हम पढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ बनाने का सबसे सशक्त माध्यम योग है। मैं स्वयं रोज योग करता हूं। बीमारी से पीड़ित हुआ। अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। क्योंकि मैं प्राणायाम भी करता था। योग प्राणायाम वैसे तो अष्टांग योग है। प्राणायाम, ध्यान, साधना, समाधि लेकिन हम प्रारंभिक रूप से विचार करें। स्वस्थ शरीर के लिए योगासन उसके लिए जो पूरी श्रृंखला है। हम सब बड़ा काम तब करेंगे जब आपका शरीर स्वस्थ होगा, तो याद रखिए रोज योग करना है। अच्छी दिशा में आगे बढ़ने के लिए मेरी सभी को शुभकामनाएं।