भोपाल

संकट में संतों की शरण में सीएम शिवराज, कहा- कोरोना ने दिया नई जीवन पद्धति अपनाने का संदेश

सीएम ने कहा- यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो ?

भोपालApr 29, 2020 / 07:57 am

Pawan Tiwari

संकट में संतों की शरण में सीएम शिवराज, कहा- कोरोना ने दिया नई जीवन पद्धति अपनाने का संदेश

भोपाल. कोरोना संकट के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के सदस्यों के साथ ‘कोविड-19 की चुनौतियां और एकात्म बोध’ विषय पर विस्तार से चर्चा की। चौहान ने कहा कि आचार्य शंकर एवं रामानुज की जयंती है। मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापित करने और अन्य कार्यों से सभी न्यासी अवगत हैं। उन्होंने कहा है कि कोरोना ने एक चुनौती उत्पन्न की है। हम धैर्य, साहस और संयम से इसका मुकाबला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में सभी जरूरी कार्रवाई की गई। धर्म और दर्शन भी इस संकट से निपटने में राह दिखा रहा हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कोरोना संकट यह संदेश भी दे रहा कि हमें नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी। नए ढंग से जीना पड़ेगा। यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो ? अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाते हुए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर कुटीर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना होगा। प्रकृति की आराधना की परंपरा सशक्त हो। हम नदी को माँ और वृक्षों को पूजनीय मानते हैं। सभी नदियां हमारे लिए पूजनीय हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब में एक ही आत्मा का दर्शन किया जा सकता है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि, हरिद्वार
भारत माता मंदिर के प्रमुख जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि ने कहा सांस्कृतिक न्यास आपके संकल्प से बना है। न्यास के न्यासी गण और सभी संत-वृंद सभी की ओर से आपको बधाई। स्वामी जी ने कहा कि चुनौती के इस समय में भय, अभाव, अवसाद तो आए ही हैं, समाधान का अवसर भी उपलब्ध है। जीवन अंतहीन संभावनाओं का नाम है। मनुष्य की चेतना शताब्दियों से इस तरह के कष्ट देख रही है।
स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती, मुम्बई
स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती ने कहा कि समय में बहुत बदलाव आने वाला है लेकिन आपत्ति की स्थिति में भी ईश्वर की कृपा होती है। आयुर्वेद का प्रचार हो रहा है यह इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में उपयोगी है। इसी तरह मनुष्य की मनोदशा ठीक रहती है, तो यह इम्यून सिस्टम और अच्छा रहता है। स्वामी जी ने कहा कि इस समय भक्ति, श्रद्धा, विश्वास बदलाव लाने का कार्य कर रहे हैं। लोगों का उत्साह बढ़ रहा है। सभी प्रार्थना और पाठ में सक्रिय हैं निश्चित ही पूजा, आराधना का सकारात्मक प्रभाव होता है।
स्वामी संवित सोम गिरि-बीकानेर
स्वामी संवित सोम गिरि जी ने कहा कि विश्व को शंकराचार्य जी का संदेश देना आवश्यक है। आज सारा विज्ञान, धर्म और अध्यात्म की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। भारत में गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि तक भिन्न-भिन्न संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वर्णित है कि मानव-मानव में भेद नहीं होना चाहिए। आत्मबोध को प्रत्येक व्यक्ति समझे, यह आवश्यक है।
स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, राजकोट
स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी ने कहा कि अति आत्म-विश्वास हितकारी नहीं होता बल्कि कष्टकारी होता है। यह अज्ञान से उत्पन्न होता है। शरीर के सभी अंग किस तरह परस्पर सहयोग करते हैं, यह बात हमें एकात्म दर्शन से सीखने को मिलती है। कोरोना एक मनोवैज्ञानिक कष्ट है।

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