बीना को बीपीसीएल रिफाइनरी के लिए देशभर में जाना जाता है। यहां 49000 करोड़ का पेट्रोकेमिकल प्लांट भी बन रहा है।
इतना ही नहीं, बीना में रेलवे जंक्शन के साथ, जेपी थर्मल पावर प्लांट, पावर ग्रिड भी है।
इतना ही नहीं, बीना में रेलवे जंक्शन के साथ, जेपी थर्मल पावर प्लांट, पावर ग्रिड भी है।
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कुछ ऐसा ही मामला खुरई तहसील का भी है। प्रदेश की सबसे उन्नत तहसीलों में शुमार खुरई को राज्य में सत्ताधारी बीजेपी का गढ़ भी माना है। कांग्रेस के स्थानीय नेता भी खुरई को जिला बनाने की मांग उठाते रहे हैं। अनुकूल भौगोलिक और आर्थिक स्थिति, पर्याप्त संसाधन और ताकतवर नेतृत्व के बलबूते यह तहसील भी जिला बनने का हक जता रही है।
बीना और खुरई के लोग तथा राजनेता अपनी तहसीलों को जिलों के रूप में देखने के लिए बेताब हैं। इसके लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। बीना को जिला बनाने की मांग चार दशक पुरानी है। शहर के गांधी चौराहे पर करीब 48 दिनों से इस मांग के समर्थन में क्रमिक धरना चल रहा है।
सागर की खुरई तहसील को भी जिला बनाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। इस मांग के समर्थन में जहां धरना दिया जा रहा है वहीं 3 सितंबर को खुरई बंद का भी आह्वान किया गया है।
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खुरई सागर जिले की सबसे पुरानी तहसील है। पहली बार सन 1965 में इसे जिला बनाने की मांग उठी थी और तब से यहां के लोग जिला मुख्यालय का इंतजार कर रहे हैं। इस मांग के समर्थन में सिर्फ सभी राजनीतिक दलों के बड़े नेता ही नहीं हैं। तहसील के सभी व्यापारी और आम जन भी खुरई को जिला बनाने के लिए समर्थन में आगे आकर खड़े हो रहे हैं।
राजधानी भोपाल के प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि देर-सबेर सागर का बंटना तय है। ऐसे में 4 सितंबर को बीना में सीएम डॉ. मोहन यादव बीना को जिला बनाने की घोषणा कर सकते हैं। खास बात यह है कि यहां की विधायक निर्मला सप्रे भी बीना को जिला बनाने की मांग करते हुए ही कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई थीं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बीना को तो जिला बनाया जा सकता है पर खुरई का मामला अभी अटक सकता है।