मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ’22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरसंघचालक मोहन भागवत की मौजदूगी में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम किया गया। ये भारत का सांस्कृतिक अनुष्ठान पर्व था, जिससे देशभर में ऊर्जा के वातावरण का विस्तार हुआ। ऐसे में हम अपने मंत्रीमंडल के साथ 4 मार्च को अयोध्या जा रहे हैं। हम रामराज्य के सपने को साकार करने के लिए संकल्पित हैं और आगे बढ़ेंगे।’
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सीएम यादव ने कहा कि ‘भगवान राम का मध्य प्रदेश की धरती से भी खास संबंध है। सम्राट विक्रमादित्य ने 2 हजार साल पहले अयोध्या में बड़ा भव्य मंदिर बनाया था। हमारी सरकार कोशिश करेगी कि, न सिर्फ रामलला के दर्शन करें, बल्कि मध्य प्रदेश के लोगों के लिए एक अनुकूल स्थान देखकर वहां धर्मशाला भी बनवाए। उन्होंने ये भी कि ‘अगर सरयू के किनारे हमें सुनिश्चित जगह मिलती है तो हमारी सरकार विक्रमादित्य घाट का निर्माण कराने का भी काम करेगी।’
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आपको बता दें कि, 22 जनवरी को हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही देशभर से राम भक्तों का तांता अयोध्या में लगा हुआ है। बड़ी संख्या में लोग रामलला के दर्शन करने राम मंदिर पहुंच रहे हैं। इन्हीं के साथ साथ देशभर के वीआईपी भी दर्शन करने राम मंदिर आ रहे हैं। ऐसे में यूपी सरकार ने वीआईपी लोगों के कारण आमजन को दर्शन करने में दिक्कत आने से बचाने के लिए वीआईपी मूवमेंट के दिन निर्धारित कर दिए हैं।
इसी व्यवस्था के चलते मध्य प्रदेश सरकार ने भी जन्मभूमि ट्रस्ट से दर्शन की अनुमति लेने के लिए अपना शेड्यूल उन्हें भेजा था। बीजेपी शासित राज्यों की कैबिनेट के अयोध्या पहुंचने को लेकर पहले ही शेड्यूल तैयार कर लिया गया है। इसी शेड्यूल के तहत अब अलग-अलग राज्यों की कैबिनेट अलग अलग दिन अयोध्या पहुंच रही है। इनमें से अबतक महाराष्ट्र, गोवा, असम, गुजरात, राजस्थान हरियाणा, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड कैबिनेट के मंत्री फरवरी के अलग-अलग तय दिनों में दर्शन कर चुके हैं। इसी व्यवस्था के तहत अब 4 मार्च को मुख्यमंत्री मोहन अपनी कैबिनेट के मंत्रियों के साथ अयोध्या में रामलला के दर्शन करेंगे।