केस-1
पहली कक्षा में एडमिशन मिलेगा या नहीं
पियूष श्रीवास्तव अपनी बेटी खुशी का प्रवेश नर्सरी कक्षा में कराने की बात कर चुके थे। खुशी नर्सरी में पहला कदम रखती, उससे पहले ही लॉकडाउन लग गया। उसके बाद से कोरोना संक्रमण काल में पियूष अपनी बेटी को घर पर ही पढ़ रहे हैं। वे अगले वर्ष बेटी का प्रवेश पहली कक्षा में कराना चाहते हैं, लेकिन उन्हें चिंता है कि किसी अच्छे प्री स्कूल से औपचारिक रूप से नहीं पढ़े होने के चलते बेटी को कैसे एडमिशन मिलेगा।
केस-2
बच्चे की उम्र क्लास के हिसाब से ज्यादा
रानी रघुवंशी चाहती हैं कि उनके बेटे अथर्व की स्कूली पढ़ाई सही उम्र में पूरी की जाए। लेकिन, संक्रमण के चलते बेटे की नर्सरी और एलकेजी में ही पढ़ाई नहीं सकी है। अब रानी को चिंता सता रही है कि यदि अब अगले सत्र में प्री स्कूल की पढ़ाई कराएंगी तो बच्चे की उम्र क्लास के हिसाब से ज्यादा होगी, वहीं यदि बेहद चंचल बेटे को यदि सीधे पहली कक्षा में प्रवेश दिलाती हैं तो कहीं उसकी पढ़ाई नींव कमजोर न हो जाएं।
औपचारिक शिक्षा से दूर हुए बच्चे
दो से ढाई साल की उम्र के बच्चे दो सालों में प्ले स्कूल की औपचारिक शिक्षा से बाहर रह गए। ऐसे विद्यार्थी अगले सत्रों में पहली कक्षा में पहुंचेंगे तो स्कूल निश्चित तौर पर यह देखेंगे कि उनका स्तर पहली कक्षा के लायक हुआ है या नहीं।- डॉ. एसएन राय, शिक्षाविद
संजय पटवा,शिक्षाविद एवं डिप्टी डायरेक्टर, एमपी ओपन स्कूल का कहना है कि संक्रमण के दौरान एकल परिवार में बड़े हुए बच्चों को शिक्षित अभिभावकों ने मूलभूत शिक्षा तो किसी तरह दे दी है, लेकिन अनुशासन, संस्कार सहित कई गुणों का विकास उनमें नहीं हो सका है।