भोपाल

2020: पहला ऐसा साल, जिसमें बच्चे नहीं जा सके स्कूल, ई-लर्निंग का आया दौर

– कोरोना से जंग संग पढ़ाई का बदला ढंग- ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई के नए तरीके खोजे- 200 देशों के 160 करोड़ बच्चे नहीं जा सके स्कूल-कॉलेज

भोपालDec 28, 2020 / 03:24 pm

Astha Awasthi

Children

भोपाल। साल 2020 अब जाने वाला है, इस साल में उद्योग धंधे, व्यापार, आम आदमी की दिनचर्या से लेकर क्या कुछ नहीं बदला। कोरोना महामारी ने हमारे जीवन के हर हिस्से पर असर डाला। काफी कुछ नकारात्मक हुआ, लेकिन साथ ही नए इनोवेशन और नए आइडिया भी मिले। कहा जा सकता है कि ये साल पूरी तरह से बदलाव वाला साल था। आज हम बात करेंगे साल 2020 में मध्यप्रदेश में हुए शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की। मार्च 2020 में शुरु हुए कोरोना संक्रमण के बाद से अचानक ही शिक्षण संस्थान बंद हो गए, मगर सुशिक्षित समाज के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए इस पर आंच नहीं आने दी गई।

बच्चे नहीं जा सके स्कूल

मार्च से बंद पड़े स्कूल के कारण बच्चे स्कूल तो नहीं जा सके लेकिन जुलाई अगस्त के महीने में आनन-फानन में नई व्यवस्था कर पढ़ाई की नई प्रणाली अपनाने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई। स्कूलों में शुरु हो गया ऑनलाइन पढ़ाई का सिस्टम। शुरु में इसमें भी कई चुनौतियां आई लेकिन सफलता असफलता के खेल में विजय प्राप्त हुई। जिले में करीब चालीस फीसद तक ऑनलाइन शिक्षा सफल रही। जो असफल रहे उनके लिए दूसरा रास्ता चुना और शिक्षा से जोड़ा गया।

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एक मजबूरी भी रही ऑनलाइन शिक्षा

कई बार आई मुसीबतों के बाद ऑनलाइन शिक्षा को कोरोना काल में एक मजबूरी के रुप में देखा गया। कह सकते हैं कि यह समय की मांग है। महामारी के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा ही सही ठीक रही है। हालांकि इसकी फिजिकल स्कूल और क्लास से कोई तुलना नहीं है। अच्छी तरह सीखने के स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा स्कूली कक्षा की जगह नहीं ले सकती है।

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गांव वालों की पहुंच से बहुत दूर

जहां एक ओर शहरों में शिक्षा का कोरोना काल में भी सुचारु रुप से चालू रखा गया वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन शिक्षा एमपी के कई ग्रामीण क्षेत्रों की पहुंच से बहुत दूर और गैर- व्यावहारिक रही। ये भी सच है कि कक्षा की तुलना ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से की जाए इससे भारत के बहुसंख्यक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले वंचित समुदाय के बच्चों के लिए पर्याप्त साधन और इंटरनेट डाटा जुटाना मुश्किल है।

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प्रभावित हुई पढ़ाई

बात करें अगर यूएन की रिपोर्ट की तो 200 देशों के 160 करोड़ बच्चे स्कूल-कॉलेज नहीं जा सके। ऐसा पहली बार हुआ। भारत में 36 करोड़ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। अमेरिकी स्टडी के मुताबिक बच्चे स्कूल लौटेंगे तो रीडिंग लेवल भी 30% तक घट सकता है और बच्चे गणित में एक साल तक पिछड़ सकते हैं।

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