भोपाल. ‘वे अभी नए हैं और चीजों को समझ रहे हैं,’ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लेकर ये राय रखने वालों को अब अपने विचार बदल लेने चाहिए। वे पूरे जोर-शोर से अपने कठिन परिश्रम की बदौलत सूबे की सियासत में एक बड़ी लकीर खींचने में जुटे है। सत्ता या संगठन में बगैर कोई अनावश्यक मोर्चा खोले पार्टी को बड़ी जीत की ओर अग्रसर करने की कोशिश में लगे हैं। मुख्यमंत्री बनते ही रोज सभाएं, रोड-शो और बैठकें तो लगातार जारी ही है, क्योंकि पहले विधानसभा और उसके बाद लोकसभा का चुनावी मोड, खैर अब सूबे में चुनावी बेला विदाई की ओर है, पर इस अंतिम दौर में भी सीएम ने पूरी ताकत झोंक रखी है।
व्यस्तता भरे दिन के बाद शुक्रवार रात देवास में रोड-शो खत्म होते ही हमारी मुलाकात सीएम डॉ. मोहन यादव से होती है। दिनभर सभा और रोड-शो करने के बाद भी चेहरे में तनिक भी थकान नजर नहीं आती है। हम फौरन सीएम के साथ सड़क मार्ग से भोपाल की तरफ लौटने लगे। इसी दौरान सीएम से मौजूदा सियासी गहमागहमी से लेकर सरकार के आगामी रोडमैप के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान वो अपने जवाबों में कभी कांग्रेस को घेरते नजर आए तो कभी भोजशाला जैसे गंभीर विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी। जानिए, मुख्यमंत्री ने पत्रिका के राज्य संपादक से बातचीत में क्या-क्या कहा…।
यह भी पढ़ें- भाजपा की लहर के सवाल पर उमंग सिंघार बोले- लहर तो महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ है, इसी से भाजपा सरकार उखड़ेगी पत्रिका का सवाल : प्रदेश में आधे से ज्यादा चुनाव निपट चुका है। जाहिर है आप फीडबैक लेते होंगे, क्या रिपोर्ट है आपके पास?
सीएम का जवाब : भाजपा ने पहले ही कहा है कि 29 की 29 सीटें जीतेंगे। यही फीडबैक मिल रहा है। जो हमने कहा था, वही हो रहा है। परिणाम चार जून को आएगा, लेकिन हम अभी कह सकते हैं कि सारी सीटें जीतेंगे।
पत्रिका का सवाल : ऐसी चर्चा आ रही है कि सतना, मंडला, मुरैना, राजगढ़, धार और रतलाम सीटें फंसी हुई हैं। आपको मिलने वाली रिपोर्ट में ऐसी जानकारी होती है क्या? सीएम का जवाब : 2014 और 2019 के चुनाव में भी मीडिया इसी तरह कुछ सीटों को फंसी हुई बताता आया है, लेकिन चुनाव परिणाम बिल्कुल उलट रहे। जनता एक स्पष्ट रूप से सोचती है और आखिर में होता वही है जो हम लोग कहते हैं। हम जो कहते हैं, जनमानस को पढ़कर कहते हैं। तथ्यात्मक कहते हैं। कोई आज ही मान लेता है और कोई परिणाम के दिन मानेगा।
पत्रिका का सवाल : आपके उद्बोधनों में भगवान कृष्ण और मथुरा का विशेष जिक्र रहता है, आखिर क्यों ? सीएम का जवाब : आखिर क्यों न किया जाए। जब भगवान राम का मंदिर बन गया, महाकाल लोक बन गया तो अब मथुरा ही तो बाकी है। मथुरा में गोपाल-कृष्ण क्यों नहीं मुस्कुराने चाहिए ? इसमें किसी को क्यों कष्ट होना चाहिए ? हम तो कांग्रेस से कह रहे हैं कि राम के मंदिर में आप पिछड़ गए। अब कृष्ण के मंदिर में खुलकर हमारे साथ आ जाओ, समर्थन करो। कांग्रेस का इतिहास है कि वे मंदिरों के विरोध में ही रहते हैं।
पत्रिका का सवाल : इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान छोड़कर भाजपा में आने पर देशव्यापी बहस हो रही है। कांग्रेस कह रही है, दबाव बनाकर लाए, भाजपा कह रही है कि खुद आए, सच क्या है ?
सीएम का जवाब : कांग्रेस ने जबरन किसी को पकड़कर प्रत्याशी बना दिया और उसे बचा नहीं पाए। अब दूसरों को दोष कैसे दे सकते हैं ? मैं दूसरी बात कहता हूं, हमारे वी.डी शर्मा प्रदेश अध्यक्ष होकर खजुराहो से चुनाव लड़े। जीतू पटवारी को भी इंदौर में खुद लड़ना था। किसी व्यक्ति को पकड़ा और उसके गले में घंटी बांध दी। असल में कांग्रेस पहले से ही इस सीट को हारी मान चुकी है। 1984 से अब तक कांग्रेस जीती नहीं। कांग्रेस को बताना चाहिए कि इतने चुनाव में प्रत्याशी थे, वे क्यों नहीं जीते। कांग्रेस कभी इंदौर में जीतने लायक रही ही नहीं। डर के मारे प्रदेश अध्यक्ष वहां से भागे। जिसे टिकट दिया वो व्यक्ति तो कह रहा है कि मैंने टिकट मांगा ही नहीं, जबरन उतार दिया। कांग्रेस में चयन की गलती है।
पत्रिका का सवाल : NOTA पर इंदौर के लोग बड़ा अभियान छेड़ रहे हैं। आप क्या संदेश देना चाहेंगे ? सीएम का जवाब : इंदौर के लोग नहीं, कांग्रेस ने अभियान छेड़ा है। ये नकारात्मक राजनीति है। उन्हें 14 निर्दलीय में से किसी को उम्मीदवार मान लेना चाहिए था। कांग्रेस लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती। नोटा की बात कर बड़ी भूल कर रही है। कांग्रेस ने इस चुनाव में साख पर बट्टा लगा लिया है। एक सीट सपा को दी, एक से नोटा को लड़ा रहे हैं।
पत्रिका का सवाल : आप भाषणों में पटवारीराज खत्म करने की बात कहते हैं, कांग्रेस ने पटवारी को ही अध्यक्ष बना दिया। क्या कांग्रेस का गलत फैसला है ? सीएम का जवाब : गलत फैसला है, सबको दिख रहा है। जिस तरह से उन्होंने इमरती देवी पर बात कही, क्या ये कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बोल हो सकते हैं ? वे गलती करेंगे तो आईना दिखाना ही पड़ेगा। जो व्यक्ति महिलाओं की इज्जत को उछालता हो, उस प्रदेश अध्यक्ष के बारे में चुनाव की बेला में नहीं बोलूंगा तो किसके बारे में बोलूंगा ?