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अब भेड़िये पहनेंगे ‘रेडियो कॉलर’, एमपी में पहली बार होगी वुल्फ पर टेलीमेट्री रिसर्च

Cheetah Wolves Radio Collar: वुल्फ स्टेट मध्य प्रदेश में पहली बार भेड़ियों (वुल्फ) को भी रेडियो कॉलर पहनाए जाएंगे। जल्द शुरू होगी टेलीमेट्री रिसर्च

भोपालDec 26, 2024 / 03:54 pm

Sanjana Kumar

Research on wolves In MP
Cheetah Wolves Radio Collar: टाइगर और चीता के बाद अब वुल्फ स्टेट मध्य प्रदेश में पहली बार भेड़ियों (वुल्फ) को भी रेडियो कॉलर पहनाने की तैयारी की जा रही है। ताकि टाइगर और लेपर्ड जैसे बड़े शिकारी जानवरों के इलाके में भी उनके सह-अस्तित्व, मूवमेंट एरिया और उनके पसंसीदा रहवास के बारे में गहराई से जाना जा सके।
बता दें कि देशभर में पहली बार भेड़ियों पर रेडियो टेलीमेट्री रिसर्च की जाएगी। एक्सपर्ट का दावा है कि ये प्रोजेक्ट देशभर के जंगलों में रहने वाले भेड़ियों पारिस्थितिकी को जानने में मदद करेगा।
केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद भेड़ियों को रेडियो कॉलर लगाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर स्थित स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट काम कर रहा है। सब ठीक रहा तो जल्द ही भेड़ियों के अलग-अलग झुंड में से किसी एक को चुनकर यह कॉलर पहनाए जाएंगे।

2022 में एमपी बना था वुल्फ स्टेट

बता दें कि मध्य प्रदेश को 2022 में वुल्फ स्टेट का दर्जा दिया गया था। दरअसल भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के अनुमान के अनुसार देश भर में हुई भेड़ियों की गणना में 3170 भेड़िये गिने गए थे। अकेले मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 772 भेड़िये पाए गए और भेड़ियों की सबसे बड़ी आबादी के साथ एमपी देशभर में अव्वल रहा था।
खुशखबरी ये भी है कि मध्य प्रदेश में इनकी संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एमपी की वाइल्ड लाइफ की शान ज्यादातर टाइगर रिजर्व और वन्यजीव अभयारण्यों में इनके झुंड नजर आने लगे हैं।

शुरुआत में तीन भेड़िये पहनेंगे रेडियो कॉलर

मध्य प्रदेश में भेड़ियों को रेडियो कॉलर लगाने का मकसद बड़े सह-शिकारी-बाघों के साथ उनके सह-अस्तित्व का अध्ययन करना है। नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में भेड़ियों की पारिस्थितिकी का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के लिए आने वाले हफ्तों में तीन भेड़ियों को रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा। ये तीन भेड़िए वे होंगे, जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग झुंड का प्रतिनिधित्व करता है।

दो साल के लंबे शोध का हिस्सा होगा ये अध्ययन

रेडियो टेलीमेट्री आधारित यह अध्ययन फरवरी 2024 में शुरू हुए एमपी राज्य वन अनुसंधान संस्थान (एसएफआरआई) द्वारा चलाए जा रहे दो साल के लंबे शोध का हिस्सा है और विशेष रूप से भेड़ियों की पारिस्थितिकी पर बड़े सह-शिकारी-बाघों (जिन्हें 2018 में अभयारण्य में फिर से पेश किया गया था) के प्रभाव का अध्ययन करने पर केंद्रित है।

नौरादेही है भेड़ियों का सबसे बड़ा घर

माना जाता है कि नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य संरक्षित क्षेत्र के रूप में न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि, पूरे मध्य भारत में भारतीय भेड़ियों की सबसे बड़ी आबादी का घर है। वहीं वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक (वुल्फ प्रोजेक्ट) डॉ. अनिरुद्ध मजूमदार बताते हैं कि वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में इनके झुंड आसानी से देखे जा सकते हैं।

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