पचमढ़ी आनेवाले लोग चौरागढ़ शिव मंदिर भी जरूर जाते हैं। घने जंगलों से घिरे इस मंदिर का रास्ता बहुत दुर्गम है। मंदिर में लाखों त्रिशूल रखे हैं जिनमें कई क्विंटल वजनी त्रिशूल भी शामिल हैं।
इसलिए पड़ा नाम चौरागढ़
मंदिर से जुड़ी एक किवदंती के अनुसार, इस पहाड़ी पर चौरा बाबा ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि इस पहाड़ी को आज से चौरागढ़ के नाम से जाना जाएगा।
अपना त्रिशूल यहीं छोड़ गए
चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है। हर साल हजारों भक्त यहां त्रिशूल चढाते हैं। चौरा बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और त्रिशूल यहीं छोड़कर चले गए थे।
4200 फीट ऊंचाई पर बने शिवालय तक पहुंचने के लिए 1300 सीढ़ियां—
पचमढ़ी में सतपुड़ा की खूबसूरत घाटियों और जंगलों के बीच चौरागढ़ के शिखर पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। 4200 फीट ऊंचाई पर बने इस शिवालय तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
कैसे पहुंचे
चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी बस स्टैंड से 15 किमी की दूरी पर है। पचमढ़ी पहुंचने के लिए सीधी रेल या फ्लाइट की कनेक्टिविटी नहीं है। अधिकतर लोग जबलपुर और इटारसी के बीच स्थित पिपरिया रेलवे स्टेशन पर उतरकर पचमढ़ी जाते हैं। ट्रेन से पिपरिया आने के बाद बस, टैक्सी या कार से पचमढ़ी पहुंचा जा सकता है। पिपरिया से यहां की दूरी लगभग 54 किमी है। दक्षिण से आनेवाले लोग प्राय: छिंदवाडा जिले से भी पचमढ़ी आते हैं।