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भोपाल सहित 9 कलेक्टरों के सामने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती

भोपाल सहित 9 कलेक्टरों के सामने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की चुनौतीइन जिलों में लोकसभा चुनाव में ६५ और विधानसभा में ७० फीसदी से अधिक नहीं बढ़ पाया मतदान का प्रतिशत

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भोपाल

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Ashok Gautam

Apr 07, 2019

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भोपाल। भोपाल सहित प्रदेश के 9 कलेक्टरों के सामने शांतिपूर्ण चुनाव कराने के अलावा सबसे बड़ी चुनौती वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की है। ये जिले वोटिंग प्रतिशत के मामले में सबसे पीछे हैं। वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए कलेक्टर शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम रोजगार सहायक, पंचायत सचिव, आशा कार्यकर्ता, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता, कृषि कर्मचारियों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं।

इसकी मुख्य वजह यह है कि ये कर्मचारी स्थानीय लोगों के काफी नजदीक होते हैं और गांव के आस-पास के रहने वाले होते हैं। इनकी बातों को मतदाता गंभीरता से लेंगे। ये बुजर्गों, दिव्यांगजनों का मतदान केन्द्रों तक पहुंचाने के लिए वाहन की भी व्यवस्था करेंगे। जिससे इन जिलों में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान का प्रतिशत 70 और लोकसभा चुनाव में ६५ फीसदी से भी कम था। अब आयोग ने 75 फीसदी वोटिंग का लक्ष्य रखा है।
इन कर्मचारियों को मतदाताओं के मोबाइल नम्बर भी दिए जाएंगे, इससे वे इन नम्बरों पर वोटिंग से पहले दो बार उन्हें वोटिंग के लिए संदेश भेज सकें। युवा मतदाताओं को उनके वाट्स ऐप और फेसबुक पर आकर्षक स्लोगन और आयोग के आईकॉन की वाइस रिकार्डिंग भेजकर उन्हें वोट के लिए कहा जाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में युवाओं की टीम भी तैयार की जाएंगी जो मतदाता जागरूकता के लिए काम करेंगे, लेकिन इसके साथ में एक स्थानीय कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाएंगी जिससे वो मतदाताओं से सिर्फ वोट देने की बात करें। युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए स्टीकर, बैज, बिल्ले, मतदान के तारीख वाले पेन, पेंसिल सहित अन्य छोटी-छोटी चीजें देकर मतदाता जागरुता अभियान चलाया जाएगा।
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इन जिलों पर आयोग का विशेष फोकस
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भोपाल, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, छतरपुर, रीवा, सीधी, सिंगरौली, अलीराजपुर में आयोग का विशेष फोकस रहेगा। यहां विधानसभा चुनाव में ७० फीसदी से कम मतदान हुआ है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत ६५ फीसदी से भी कम रहा है।

यहां 80 फीसदी से अधिक मतदान --
नीमच, मंदसौर, उज्जैन, देवास, शजापुर, राजगढ़, सीहोर, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, नरसिंहपुर, सिवनी बालाघाट

जिससे इन जिलों में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान का प्रतिशत 70 और लोकसभा चुनाव में ६५ फीसदी से भी कम था। अब आयोग ने 75 फीसदी वोटिंग का लक्ष्य रखा है।
इन कर्मचारियों को मतदाताओं के मोबाइल नम्बर भी दिए जाएंगे, इससे वे इन नम्बरों पर वोटिंग से पहले दो बार उन्हें वोटिंग के लिए संदेश भेज सकें।

युवा मतदाताओं को उनके वाट्स ऐप और फेसबुक पर आकर्षक स्लोगन और आयोग के आईकॉन की वाइस रिकार्डिंग भेजकर उन्हें वोट के लिए कहा जाएगा।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में युवाओं की टीम भी तैयार की जाएंगी जो मतदाता जागरूकता के लिए काम करेंगे, लेकिन इसके साथ में एक स्थानीय कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाएंगी जिससे वो मतदाताओं से सिर्फ वोट देने की बात करें। युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए स्टीकर, बैज, बिल्ले, मतदान के तारीख वाले पेन, पेंसिल सहित अन्य छोटी-छोटी चीजें देकर मतदाता जागरुता अभियान चलाया जाएगा।
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इन जिलों पर आयोग का विशेष फोकस
मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भोपाल, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, छतरपुर, रीवा, सीधी, सिंगरौली, अलीराजपुर में आयोग का विशेष फोकस रहेगा। यहां विधानसभा चुनाव में ७० फीसदी से कम मतदान हुआ है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत ६५ फीसदी से भी कम रहा है।

यहां 80 फीसदी से अधिक मतदान --
नीमच, मंदसौर, उज्जैन, देवास, शजापुर, राजगढ़, सीहोर, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, नरसिंहपुर, सिवनी बालाघाट