scriptसियासत में रियासत का दबदबा बरकारार रखने की चुनौती, दांव पर राजपरिवार की प्रतिष्ठा | challenge of preserving dominance in princely state | Patrika News
भोपाल

सियासत में रियासत का दबदबा बरकारार रखने की चुनौती, दांव पर राजपरिवार की प्रतिष्ठा

सियासत में रियासत का दबदबा बरकारार रखने की चुनौती, दांव पर राजपरिवार की प्रतिष्ठा
– आसान नहीं राजशाही की जीत
 

भोपालApr 28, 2019 / 08:17 am

Arun Tiwari

भोपाल : प्रदेश की सियासत में हमेशा से रियासतों का दबदबा रहा है। आजादी के बाद अपने दखल और दबाव को बरकरार रखने के लिए राजघरानों ने सियासत का रास्ता अपना लिया। इस लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर राजपरिवार के लोग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
चार सीटों पर कांग्रेस तो एक सीट भाजपा ने राजपरिवार से टिकट दिया है। बदलते वक्त के साथ अब राजघरानों के सदस्यों की जीत उसनी आसान नहीं रही है। दांव पर लगी अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ये लोग हर घर के दरवाजे खटखटा रहे हैं। अब रियासतों के सामने जीत हासिल कर सिसायत में अपना दबदबा कायम रखने की बड़ी चुनौती है।

दिग्विजय सिंह : राधौगढ़ राजघराने के सदस्य दिग्विजय सिंह भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जीत के लिए दिग्विजय सिंह पिछले एक महीने से इस तपती गर्मी में पसीना बहा रहे हैं। दस साल प्रदेश के मुखिया रहने के बाद भी भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दिग्विजय के लिए जीत आसान नहीं है। दांव पर लगी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए वे सुबह नौ से रात के ग्यारह बजे तक सभा और जनसंपर्क कर रहे हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया : सिंधिया राजपरिवार का ग्वालियर-चंबल की राजनीति में खास दखल बरकरार है। आज भी वहां की सियासत सिंधिया परिवार के हिसाब से ही तय होती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जीत के लिए उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे महल से निकलकर गलियों में घूम रही हैं,तपते सूरज में भी महिला सम्मेलन कर रही हैं। सिंधिया खुद भी उत्तर प्रदेश से समय निकालकर अपने क्षेत्र में पसीना बहा रहे हैं। सिंधिया के सामने भाजपा के केपी यादव उम्मीदवार हैं।

अजय सिंह : चुरहट रियासत के अजय सिंह के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य दोनों के लिए है। वे सीधी से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने पिछली बार की सांसद और भाजपा उम्मीदवार रीति पाठक हैं। अजय सिंह ने ये चुनाव जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। वे लोगों को आखिरी चुनाव का वास्ता भी दे रहे हैं।

कविता सिंह : छतरपुर राजघराने की बहू कविता राजे भी इस बार लोकसभा मैदान में हैं। उनके पति विक्रम सिंह नातीराजा ने कविता को जिताने की गारंटी ली है। नातीराजा राजनगर से विधायक हैं। नातीराजा अपने वचन को निभाने के लिए खुद तो गांव-गांव घूम ही रहे हैं साथ ही कविता सिंह भी लोगों के बीच पहुंच रही हैं। भाजपा की परंपरागत सीट पर कांग्रेस के लिए जीत आसान नहीं है। कविता के सामने भाजपा के वीडी शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।

हिमाद्री सिंह : भाजपा की शहडोल से उम्मीदवार हिमाद्री सिंह का नाता पुष्पराजगढ़ के आदिवासी राजगौड़ परिवार से है। यहां पर इस परिवार की मान्यता रही है। हिमाद्री के पिता दलबीर सिंह और माता राजनंदिनी सिंह को भी यहां की जनता ने सांसद बनाया है। लेकिन अब लड़ाई बहुत मुश्किल हो गई है। हिमाद्री इसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा के ज्ञान सिंह से कांग्रेस की उम्मीदवार रहते चुनाव हार चुकी हैं। अब वे भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रही हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस की प्रमिला सिंह हैं।

Hindi News / Bhopal / सियासत में रियासत का दबदबा बरकारार रखने की चुनौती, दांव पर राजपरिवार की प्रतिष्ठा

ट्रेंडिंग वीडियो