राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मप्र इकाई के अफसर ने बताया कि पहले चरण में 9 से 14 वर्ष तक की किशोरियों को बचाव के टीके लगेंगे। संभवत: जुलाई 2024 में इसकी शुरुआत हो सकती है। हालांकि पूर्व में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले चरण में टीकाकरण के लिए मप्र को नहीं चुना था, लेकिन बजट में घोषणा के बाद सभी राज्यों को इसकी डोज मिलनी है। यहां जानें अपनी बेटियों के लिए क्यों जरूरी है ये टीका…
दरअसल नेशनल सेंटर फॉर इंफॉर्मेटिक्स एंड डिजीज रिसर्च (एनसीडीआईआर) की हैरान कर देने वाली रिपोर्ट के अनुसार राजधानी भोपाल में भविष्य में कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को है। रिपोर्ट बताती है कि 2025 में इनकी संख्या 45,200 हो जाएगी। 2001 में जहां 4100 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित थीं। 22 साल में यह आंकड़ा करीब तीन गुना बढ़ गया। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (एनआईएच) के आंकड़ों के अनुसार मप्र में प्रति लाख सर्वाइकल कैंसर पीड़ित महिलाओं की संख्या 13.41 है। इनमें 7.8 महिलाओं की मौत हो जाती है। ऐसे में करीब 9 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में करीब 12069 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हैं। इनमें 7020 की मौत हो रही है। भविष्य में इस खतरे से बचने के लिए अपनी बेटियों को टीका जरूर लगवाएं।
इंदौर कैंसर फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. दिगपाल धारकर का कहना है कि 35 साल में ढाई लाख लोगों में कैंसर की जांच की है। झाबुआ, अलिराजपुर, सीधी जिले के कुछ ब्लॉक में सर्वाइकल कैंसर पीड़ित महिलाएं मिलीं। एचपीवी के टीके और मासिक धर्म के समय स्वच्छता सबसे ज्यादा जरूरी है।
सर्वाइकल कैंसर का टीका बाजार में भी उपलब्ध है। निजी अस्पतालों में मांग पर इसे लगाया भी जाता है लेकिन इसके लिए 2000 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक देने होते हैं। हालांकि सरकारी स्तर पर ये टीके एक निश्चित नोमिनल फीस पर या नि:शुल्क लगेंगे अभी यह तय नहीं है।
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