महिलाओं को सबसे ज्यादा होने वाले सर्वाइकल कैंसर की अब जल्द पहचान हो सकेगी। इसके लिए एम्स ने कायासर्वी नामक डिवाइस बनाई है। गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्वाइकल कैंसर की जांच कायासर्वी डिवाइस से 40 फीसदी सस्ती हो जाएगी। जांच के 30 मिनट के अंदर रिजल्ट मिल जाएगा।
एम्स, भोपाल के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और अमेरिकन रिसर्च पार्टनर ने इसे विकसित किया है। केंद्र ने प्रोजेक्ट में 80 लाख दिए है। कायासर्वी डिवाइस का फाइनल अध्ययन तीन साल चलेगा। 36 गांवों में चिकित्सकों और वैज्ञानिकों की टीम भोपाल की सामुदायिक स्थानों में यह अध्ययन करेगी।
एम्स भोपाल के स्त्री-रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय हलदर के अनुसार कायासर्वी जांच विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बड़ी लाभदायक होगी। सैंपल लेने के 30 मिनट में टेस्ट के नतीजे मिल जाएंगे। डॉ.रश्मि चौधरी (मुख्य अन्वेषक), डॉ. अजय हलदर, डॉ. उज्ज्वल खुराना, डॉ. आशीष जाधव, डॉ. अभिजीत रोजाटकर और डॉ. सूर्याभान लोखंडे के अलावा अमेरिकन रिसर्च पार्टनर डॉ.सुलता द्वारकानाथ ने इसे विकसित किया है।
गौरतलब है कि यूं तो महिलाओं को कई घातक रोग होते हैं पर इनमें बच्चेदानी का कैंसर सबसे बुरा साबित हो रहा है। इस गंदे रोग के कारण देश के साथ ही प्रदेश में भी अनेक महिलाओं की मौत हो रहीं हैं। वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु बच्चेदानी के मुंह के (सर्वाइकल) कैंसर के कारण होती है। सर्वाइकल कैंसर से बचना है तो 30 से 65 वर्ष की महिलाएं अपनी जांच जरूर कराएं।
सर्वाइकल कैंसर की क्या है पहचान
सबसे सामान्य लक्षण पीरियड्स के अलावा होने वाली असामान्य ब्लीडिंग। पैप स्मीयर टेस्ट करा सकते हैं। इसमें एक छोटे से ब्रश की सहायता से सर्विक्स के टिश्यू को जांच के लिए निकाला जाता है। यह दर्दनाक नहीं होता है।
सर्वाइकल कैंसर कैसे होता है
सर्वाइकल कैंसर एचपीवी नामक यौन संचारित वायरस से होने वाली बीमारी है। कमजोर इम्यूनिटी से जोखिम और बढ़ जाती है।
सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें
हर पांच साल में पैप स्मीयर टेस्ट और गाइनेको-लॉजिकल जांच करवाते रहें। सर्वाइकल कैंसर के तीन स्टेज
पहला: सर्वाइकल कैंसर कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा की सतह से ऊतकों में पहुंचें, लेकिन इससे आगे नहीं बढ़े।
दूसरा: जब कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे फैल जाता है, लेकिन योनि तक नहीं पहुंचे।
तीसरा: जब कैंसर योनि के निचले हिस्से या पेल्विक की सतहों तक फैल जाए और ट्यूमर गुर्दे से मूत्राशय तक जानी वाली पेशाब नलियां अवरुद्ध हो जाएं।