भोपाल

सिंधिया के महल की सुरक्षा में हुआ बड़ा बदलाव, अब ऐसे होगी जयविलास पैलेस की निगरानी

– केंद्र सरकार की ओर से निर्देश तैयार…
– कभी हाथियों से जांची थी इस महल की मजबूती…

भोपालMar 12, 2020 / 02:44 pm

दीपेश तिवारी

jai vilas palace security

भोपाल। कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए ग्वालियर राजपरिवार के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल को अब विशेष सुरक्षा मिलने जा रही है। इसके तहत ग्वालियर के राजवंश royal family scindia सिंधिया के जयविलास Jai Vilas Palace पैलेस की सुरक्षा अब केंद्रीय सुरक्षा बल की ओर से की जाएगी। बताया जाता है इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से निर्देश तैयार कर लिए गए हैं, जिसके बाद आज से महल की सुरक्षा व्यवस्था Jai Vilas Palace security बदल जाएगी। इससे पहले अब तक ये सुरक्षा राज्य सरकार के पुलिस कर्मियों के अलावा महल के पर्सनल सिक्योरिटी गार्डस के हाथ में थी। जानकारों की मानें तो सिंधिया के पार्टी बदलने और इसके चलते उनके विरोध को देखते हुए सुरक्षा में ये बदलाव किया गया है।

ऐसे समझें : राजविलास पैलेस
12,40,771 वर्ग फीट में फैले सिंधिया घराने का महल जय विलास पैलेस scindia Jai Vilas Palace अपनी भव्यता व नक्काशियों के लिए देश-विदेश में जाना जाता है। जय विलास पैलेस scindia palace का निर्माण महाराजा जयाजी राव सिंधिया ने आजादी से पहले सन 1874 में कराया था। महल में कुल 400 कमरे हैं, जिसमें 40 कमरे म्यूजियम के तौर पर रखे गए हैं, जिसमें महल के अंदर की गैलरी, उस समय प्रचलित अस्त्र-शस्त्र, उस समय प्रयुक्त होने वाली डोली एवं बग्घी और कांच के पायों पर टिकी सीढिय़ों की रेलिंग म्यूजियम के रूप में दिखाई गई हैं। महल की ट्रस्टी ज्योतिरादित्य jyotiraditya scindia की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं।

उस समय महल की कीमत एक करोड़ (200 मिलियन डॉलर) रुपए आंकी गई थी। वर्तमान में शाही महल का एक हिस्सा म्यूजियम बन चुका है। म्यूजियम की ट्रस्टी ज्योतिरादित्य jyotiraditya scindia सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी सिंधिया हैं। जबकि, एक हिस्से में कांग्रेस सांसद व वर्तमान महराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार रहता है।

करीब 40 कमरों में बने भव्य म्यूजियम में सिंधिया scindia royal family काल के अस्त्र-शस्त्र, डोली एवं बग्घी और कांच के पायों पर टिकी सीढिय़ों की रेलिंग प्रदर्शित की गई है। यहां आपको पूर्व महाराजों के जीवन परिचय, उनका दरबार हाल, राजशाही चेयर-कुर्सिया समेत विदेशों में निर्मित कई प्राचीन वस्तुएं देखने को मिलेंगी।

दुनिया में सबसे अनोखा : दरबार हॉल

जयविलास पैलेस सिंधिया राजवंश का अधिकारिक निवास है और इसका दरबार हॉल दुनिया में सबसे अनोखा है। इस हॉल की दीवारों व छत में पूरे 450 किलो सोना लगा है। सोने की नक्काशी वाली ये दीवारें व छत शताब्दियों बाद भी ऐसे दमक रही हैं, जैसे आज ही बनी हों।

करीब 146 साल पहले सिंधिया राजवंश के शासक जयाजी राव सिंधिया ने जयविलास पैलेस को एक फ्रेंच आर्किटेक्ट की मदद से बनवाया था। उस समय पैलेस के दरबार हॉल को उस दौर के आधुनिकतम तरीके से बनवाया गया।

jai vilas palace
ऐसा है पैलेस का दरबार हॉल

1. दरबार हॉल इस पैलेस का महत्वपूर्ण हिस्सा है ।

2. जयविलास पैलेस में रॉयल दरबार की छत से 140 सालों से 3500 किलो का झूमर टंगा है।
3. दुनिया के सबसे बड़े झूमरों में शामिल इस झूमर को बेल्जियम के कारीगरों ने बनाया था।

4. इन झूमरों को छत पर टांगने से पहले इंजीनियरों ने छत पर 10 हाथी चढ़ाकर देखे थे कि छत वजन सह पाती है या नहीं।
5. यह हाथी 7 दिनों तक छत की परख करते रहे थे, इसके बाद यह झूमर लगाया गया था।

डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन – डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन है जो खाना परोसने के काम आती थी।
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महल की खासियत : हाथियों से जांची थी मजबूती…
400 कमरे वाले इस महल के इतने बरसों बाद भी मजबूती से खड़े रहने के पीछे एक खास वजह ये भी है कि इस महल की मजबूती नापने के लिए उस समय करीब 10 हाथियों की मदद तक ली गई थी। दूर से देखने पर एक बार तो महल ऐसा लगता है मानो संगमरमर का बना हो।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस हॉल की मजबूती को जांचने के लिए छत के ऊपर हाथी चढ़ाए गए थे, क्योंकि इसकी छत में दो सात टन के वजनी झाड़-फानूस लगाए जाने थे। इसके बाद पूरे 450 किलो सोने के साथ छत व दीवारों पर नक्काशी की गई थी। दरबार हाल में सिंधिया राजवंश के राज चिन्ह के साथ खूबसूरत मिरर के डिजाइन प्रमुखता से उकेरे गए हैं। एक सदी से ज्यादा समय बीतने के बाद भी इस सोने की चमक कतई फीकी नहीं पड़ी है। यही नहीं, जब इस दरबार हॉल में रोशनी की जाती है तो यह सोना और भी चमक बिखेरने लगता है।
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हाथियों से नापी थी मजबूती…
: इन झूमरों को छत पर टांगने से पहले इंजीनियरों ने छत पर 10 हाथी चढ़ाकर देखे थे कि छत वजन सह पाती है या नहीं।
: यह हाथी 7 दिनों तक छत की परख करते रहे थे, इसके बाद यह झूमर लगाया गया था।

पैलेस की कुछ खास बातें…

: 400 कमरे वाला यह महल पूरी तरह व्हाइट है और यह 12 लाख वर्ग फीट में बना है। 1874 में बनाया गए इस महल की उस वक्त 1 करोड़ रुपए कीमत थी।
: इस पैलेस में 400 कमरे हैं, जिनमें से 40 कमरों में अब म्यूजियम है।
: इसके डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन है, जो खाना परोसने के काम आती थी।
: इस पैलेस के अहम हिस्से दरबार हॉल की छत से 140 सालों से 3500 किलो का झूमर टंगा है।
: दुनिया के सबसे बड़ झूमरों में शामिल इस झूमर को बेल्जियम के कारीगरों ने बनाया था।
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प्रिंस एडवर्ड के स्वागत में बनवाया :

: सिंधिया राजवंश के शासक जयाजीराव 8 साल की उम्र में ग्वालियर के महाराज बने थे। बड़े होने पर जब इंग्लैंड के शासक एडवर्ड-vii का भारत आना हुआ तो महाराज ने उन्हें ग्वालियर इनवाइट किया।
: उनके स्वागत के लिए ही उन्होंने जयविलास पैलेस को बनाने प्लानिंग की। इसके लिए फ्रांसीसी आर्किटेक्ट मिशेल फिलोस को अपोइंट किया।


यहां है सिंधिया का दीवाने-ए-खास:

जयविलास पैलेस के इसी दरबार हॉल में सिंधिया राजवंश के शासक अपना दरबार लगाते थे। इसके अलावा कोई भी विदेशी मेहमान ग्वालियर स्टेट आता तो महाराज इसी हॉल में उससे मिलते थे। हालांकि देश स्वतंत्र होने के बाद रियासतें तो खत्म हो गईं, लेकिन राजसी परंपराओं को राजा-महाराजाओं के वारिस जारी रखे हुए हैं। सिंधिया राजवंश के मौजूदा वारिस आज भी विशेष मौकों पर दीवाने-ए-खास में मराठा सरदारों के वारिसों के साथ बैठ कर दरबार लगाते हैं।

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