तनय के मुताबिक वे आर्केयोलॉजिस्ट के रूप में कॅरियर बनाना चाहते हैं। वे कहते हैं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी या बीएचयू में एडमिशन लूंगा। बचपन से ही साइंटिफिक की बजाए कल्चरल साइट्स ज्यादा पसंद रही है। हॉलीवुड फिल्म द ममी देख इतिहास में रुचि जागी, इसलिए ह्यूमैनिटीज चुना। हर दिन 6 से 8 घंटे पढ़ाई की। इस दौरान गेम्स खेलता था और सोशल मीडिया भी उपयोग भी करता था। मेरी मम्मी नमिता हाउसवाइफ और पिता मधुसूदन निगम बिजनेसमैन हैं।
पेरेंट्स का काफी सपोर्ट
10वीं में अव्वल रहीं सयाली देशपांडे ने बताया— मैंने 4 से 6 घंटे नियमित पढ़ाई करता था। मैं नेशनल लेवल की चेस प्लेयर रही हूं। मेरे पापा इलेक्ट्रिक इंजीनियर और मम्मी डॉक्टर हैं। मेरे पेरेंट्स का मुझे काफी सपोर्ट रहा, उन्होंने हमेशा मोटिवेट किया।
लिख-लिख कर तैयारी की
मैंने हर सब्जेक्ट को समय दिया, जो टॉपिक टफ लगता था, लिख-लिख कर तैयारी करती थी। शॉर्ट नोट्स तैयार किए। मुझे साइंस फील्ड में भविष्य बनाना है। अब पीसीएम लकर पढ़ाई करूंगी। मुझे फ्रेंच और आईटी में 100 में से 100 अंक मिले हैं। तनाव लेकर पढ़ाई करने से स्कोर बढऩे की बजाए और कम हो जाता है, इसलिए आत्मविश्वास से पढ़ाई करें।
जीवन में सफल होने के लिए सिर्फ टॉपर होना ही जरूरी नहीं— इधर कॅरियर काउंसलर सोनम छतवानी का कहना है कि मार्कशीट के नंबर आखिरी नहीं है। जीवन इससे आगे कहानी की है, कम नंबर आए हैं तो भी उसका आनंद लीजिए क्योंकि ज्यादा नंबर जीवन का आनंद छीन लेते हैं। जीवन में सफल होने के लिए सिर्फ टॉपर होना ही जरूरी नहीं है।