पोषण पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन न्यूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट का हवाला देते हुए हेल्थ डाइटीशियन डॉ. आभा मुखर्जी ने बताया कि, नापी ने 43 पैकेज्ड फूड का अध्ययन किया। इनमें करीब एक तिहाई उत्पादों में शुगर, फैट और सोडियम की मात्रा तय मानक से काफी अधिक पाई गई। ये उत्पाद धीरे-धीरे लोगों की लत बनते हैं और धीरे धीरे बीमार हो रहे हैं। कंपनियां आक्रामक मार्केटिंग, बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापन और लचर नियमों का फायदा उठाकर तेजी से इन पैकेज्ड प्रोडक्ट्स के जरिए हर घर में पाव पसार रहे हैं। इन जंक फूड की खपत के साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं।
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भारतीय खा रहे हैं सबसे ज्यादा नमक
भारतीय मानक के अधिक नमक का उपयोग करते हैं। नेचर पोर्टफोलियो में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक एक भारतीय औसतन रोजाना 8 ग्राम नमक खाता है, जबकि मानक सीमा 5 ग्राम रोज के हिसाब से पर्याप्त है। राष्ट्रीय एनसीडी (गैर-संचारी रोग) निगरानी सर्वेक्षण के दौरान शोधकर्ताओं ने 3 हजार लोगों के सैंपलों की जांच की गई, जिनमें सोडियम की मात्रा (नमक का प्रमुख घटक) अधिक पाई गई। इस शौध में ये भी पता चला कि, पुरुष औसतन 8.9 ग्राम रोजाना, वहीं महिलाएं 7.9 ग्राम रोजाना की तुलना में अधिक नमक खा रहे हैं।