पहले इन तीन केस को स्टडी करें…
स्थिति एक : एमपी नगर में ट्रैवल्स का काम करने वाले सुनील चतुर्वेदी ने देन लेन के लिए यूनिफाइड पैमेंट इंटरफेस (यूपीआई) एप डाउनलोड किया, इससे काम करने की कोशिश की, लेकिन बार कोड और बैंक से लिंकअप करने की मशक्कत में अटक गए।
स्थिति दो : अशोका गार्डन निवासी रमेश सिंह ने अपने एसबीआई बडी एप से बिजली के बिल का भुगतान करने की कोशिश की। वे इससे इलेक्ट्रिसिटी बिल पैमेंट ऑप्शन पर पहुंचे, लेकिन यहां मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की बजाय एमपीएसईबी भोपाल लिखा था। इसमें कंज्युमर नंबर मांगा, उन्होंने आईवीआरएस दर्ज किया तो इनवेलिड बताया जाने लगा।
स्थिति तीन : कोलार के आशीष खंदार ने सामान्य मोबाइल से यूएसएसडी के माध्यम से अपने खाते का अमाउंट पता करने की कोशिश की। स्टार 99 हेश पर कॉलिंग की। उनके पास यूएसएसडी कोड ओपन हुआ। बैंक के शुरुआती तीन शब्द डालकर अमाउंट पता करने प्रोसेस बढ़ाया तो उनसे एनयूयूपी रजिस्ट्रेशन मांगा गया। अब वे इसके लिए बैंक की साइट तक कोशिश कर रहे हैं।
भोपाल। ये तीन उदाहरण है, लोग अपने मोबाइल को बैंक बनाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन शुरुआती तकनीकी दिक्कतें आ रही है। हालांकि वे इससे निराश नहीं है और उनका मानना है कि जल्द ही वे इसे कर लेंगे और लेन देन मोबाइल से ही करेंगे। मोबाइल से ट्रांसजेक्शन के लिए लोग ही कवायद नहीं कर रहे, बैंके भी कोशिश कर रही है। अपने एप में जरूरत के अनुसार सुधार करने और छोटे दुकानदारों को इसके लिए जागरूक कर मदद करने जल्द ही प्रोग्राम शुरू करने जा रही है।
20 हजार छोटी दुकानें, 30 करोड़ का कारोबार
बैंकिंग सेक्टर का पूरा ध्यान राजधानी के छोटे दुकानदारों को ऑनलाइन ट्रांजेंक्शन की ओर मोडऩे का है। शहर भोपाल की लीड बैंक होने के नाते सेंट्रल बैंक इनके लिए जागरुकता कैंपेन शुरू करने जा रही है। बैंक के सीनियर मैनेजर संजय लांबा के अनुसार बैंक हर स्तर तक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। केट के प्रदेश महासचिव राधेश्याम माहेश्वरी के अनुसार भोपाल में गुमठी, ठेले व इसी तरह की छोटी 20 हजार दुकानें 30 करोड़ रुपए से अधिक रोजाना कारोबार करती है। इसे ही ऑनलाइन देन लेन से जोडऩा बड़ी चुनौती है।
पीओएस व यूपीआई आसान करेगा देन लेन
फिल्ड महाप्रबंधक सेंट्रल बैंक अजय व्यास के अनुसार छोटे से लेकर बड़े दुकानदारों में पाइंट ऑफ सेल (पीओएस) व यूनिफाइड पैमेंट इंटरफेस (यूपीआई) वर्चुअल देन लेन का आसान रास्ता साबित होंगे। उनके अनुसार दुकानदारों को इसी को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। पीओएस एक मशीन है जिसमें डेबिट व क्रेडिट कार्ड इंसर्ट व स्वैप कर भुगतान किया जा सकता है। यूपीआई एक एप है जिसमें बैंक और खाते की अतिरिक्त जानकारी नहीं मांगी जाती है। इसका एक यूनिक नंबर होता है जो देन लेन में उपयोग होता है और देन लेन पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
इंटरनेट बैंकिंग में अब तीन लेयर सिक्योरिटी
बडे़ कैशलेश ट्रांजेक्शन के लिए तीन लेयर सिक्योरिटी तय की जा रही है। सेंट्रल बैंक ने इंटरनेट बैकिंग पासवर्ड के अलावा ओटीपी और एक ग्रीड कार्ड जारी किया है। कोई भी भुगतान करने के लिए तय पासवर्ड के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओटीपी भेजा जा रहा है। ओटीपी के बाद ग्रीड कार्ड के कॉलम से अंक भराए जा रहे हैं। सभी सही होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।
ई-ट्रांजेक्शन में रखे इन बातों का ध्यान तो रहेगा सुरक्षित
– बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वाला फोन किसी दूसरे के हाथ न लगने दें। संभालकर खुद के पास ही रखें। ट्रांजेक्शन के लिए दिया जाने वाला ओटीपी इसी पर आता है और इसका दुरुपयोग हो सकता है।
– क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने में सीवीवी नंबर का उपयोग होता है। यह नंबर किसी को न बताएं।
– डेबिट कार्ड का भी नंबर किसी न बताएं, भुगतान में कोई परेशानी आने पर बैंक मंे ही जाएं, किसी दूसरे से इसे लेकर पूछताछ न करें।
– डेबिट और क्रेडिट कार्ड चिप बेस्ड ही उपयोग करें। स्ट्रिप बेस कार्ड को तुरंत बदलवा दें।
– स्वैप मशीन पर कार्ड इंसर्ट व स्वैप के दौरान अपना कोड किसी को पता न लगने दें।
बैकिंग आंकड़े एक नजर
– 4000 एटीएम है MP में
– 7100 बैंकों की ब्रांच है प्रदेश मंे
– 12000 बैंकिंग एजेंट्स है प्रदेश में
– 1.67 रुपे एटीएम कार्ड है प्रदेशभर में
– 50 अलग-अलग तरह की बैंकें है प्रदेशभर में
– 25 लाख औसत प्लास्टिक कार्ड जारी किए हुए हैं प्रति बैंक
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