भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक सरकारी दफ्तर में काम करने वाली 25 साल की एक लड़की हर दिन अपने दफ्तर में मानसिक प्रताड़ना झेलती है, लेकिन किसी से कुछ नहीं कह पाती। क्योंकि, अधिकारियों के खिलाफ बोलने का मतलब है और ज्यादा प्रताड़ना का शिकार होना। हाल ही में राजधानी में कार्यस्थल से परेशान होकर एक लेडी ऑफिसर ने अपने अपार्टमेंट की 5वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इन अफसर जैसी कई अन्य महिलाएं भी हैं, जो कार्यस्थल पर किसी न किसी प्रकार की प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं। लेकिन, वे सामने नहीं आ रही।
…तो करना पड़ता है प्रतिशोध का सामना
हाल ही में आए एक अध्ययन के मुताबिक, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की सूचना देने वाली 10 में से 8 से अधिक महिलाओं को किसी न किसी रूप में प्रतिशोध का सामना करना पड़ता है। कई महिलाओं का कहना है कि, उन्हें उचित सुरक्षा नहीं मिली। कई मामलों में उन्हें धमकाया गया और काम का प्रेशर बढ़ा दिया गया। कार्यस्थल पर प्रताड़ित होने वाली 10 में से 9 महिलाएं इन्हीं कारणों की वजहों से शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं।
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बढ़ रहे कार्यस्थल पर यौन शोषण के मामले
पिछले 6 महीनों में महिला आयोग में आए मामलों में से 42 फीसदी मामले मानसिक प्रताड़ना के हैं। जबकि, अन्य मामलों में शारीरिक शोषण भी रिपोर्ट हुई है। पूरे राज्य में सबसे ज्यादा मामले भोपाल में सामने आए हैं। वहीं इंदौर और जबलपुर में दर्ज मामले इनके बाद हैं।
अप्रेल 2022 से सितंबर 2022 तक कार्यस्थल पप उत्पीड़न से संबंधित प्राप्त शिकायतें
कार्यस्थल प्रताड़ना — मानसिक प्रताड़ना — यौन शौषण
राज्य — 63 — 76 — 26
भोपाल — 05 — 10 — 04
घूरने से लेकर गलत तरीके से छूने तक की हरकतें
पत्रिका ने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं से कार्यस्थल पर प्रताड़ना के बारे में बात की। ज्यादातर ने बताया कि, ऑफिस में देर रात तक रुकने का दबाब बनाया जाता है। काम के बहाने गलत तरीके से छूने का प्रयास किया जाता है। कई बार अभद्र मैसेज भेजे जाते हैं। कोलार के एक प्राइवेट फर्म में काम करने वाली महिला ने बताया कि, उनके एक साथी कर्मचारी उन्हें अभद्र मैसेज भेजते हैं। ऑफिस में घूरते हैं। शिकायत करने पर नौकरी से निकालने की धमकी तक दी जा चुकी है।
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कानून का पालन नहीं
कानून के मुताबिक, हर कार्यस्थल पर जहां 10 या 10 से अधिक लोग काम करते हैं, वहां एक इंटरनल कंप्लेंट कमेटी होना जरूरी है। लेकिन, इसका कहीं पालन नहीं हो रहा है।