भोपाल

कितने चुनाव गुजरे पर यात्री बेबस पर्व पर तो 4 गुना तक ज्यादा वसूली

मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम बंद होने से निजी बसों के भरोसे यात्री11 राज्यों में तीन लाख किमी तक दौड़ती थी मप्र परिवहन की बसें। जनप्रतिनिधियों से गुहार- सरकारी बस सेवा की फिर से की जाए शुरुआत।

भोपालOct 31, 2018 / 12:58 am

manish kushwah

nadra bus stand

भोपाल. मध्य प्रदेश संभवत: देश का इकलौता राज्य है, जहां सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बंद कर निजी हाथों में सौंप दिया गया है। राजधानी की 20 लाख से अधिक आबादी और प्रदेशभर के लाखों यात्री निजी बस ऑपरेटर्स के भरोसे हैं। बसों में न तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और न ही सुविधाएंं। 2010 के बाद बस हादसों में हुई बढ़ोतरी बताती है कि नियम-कायदों को पहियों के तले कुचला जा रहा है।
हलालपुरा बस स्टैंड पर सीहोर जाने के लिए बस में बैठीं भारती परिहार कहती हैं कि सरकारी बसों में सुरक्षा का अहसास अधिक है। असुविधा होने पर सही जगह शिकायत दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन यहां तो कोई सुनता ही नहीं। सरकार सार्वजनिक परिवहन सेवा फिर से शुरू करे। नादरा बस स्टैंड पर सागर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे देवरी निवासी हेमराज कहते हैं कि परिवहन निगम की बसों को शुरू करना चाहिए। निजी बस चालकों की मनमानी से आमजन परेशान हैं। मुकेश कोरी का कहना है कि बसों की संख्या तो बढी़ है, लेकिन सुविधाएं नहीं। देवरी निवासी कल्लू मिस्त्री ने बताया कि सरकार ने निगम की बसों को बंद करने में जल्दबाजी की, जिसका खामियाजा जनता उठा रही है। सड़क परिवहन कर्मचारी अधिकारी उत्थान समिति अध्यक्ष श्यामसुंदर शर्मा का कहना है, सरकार ने राजस्व के नाम पर जनता को निजी बस ऑपरेटर्स को सौंप दिया। त्योहारों में मुंबई, पुणे या अन्य राज्यों के लिए यात्रियों से 4000 रुपए तक वसूले जाते हैं, जबकि ऑपरेटर आम दिनों में 1000-1100 रु. लेते हैं।
परेशानियों से जूझते यात्री
परिवहन निगम की बसें तय समय पर गंतव्य के लिए रवाना हो जाती थीं, पर अब ऐसा नहीं है।
कम यात्री होने पर भी निर्धारित स्थान पर छोड़ा जाता था। निजी बस ऑपरेटर रास्ते में उतार देते हैं।
किराया निर्धारित था, पर अब फ्लेक्सी फेयर वसूला जाता है।
एक नजर
03 जून 1962 को नो प्रॉफिट नो लॉस पर शुरू हुआ था निगम।
29.5 त्न केंद्र की और 71.5 त्न राज्य सरकार की थी इसमें भागीदारी।
48 साल चलने के बाद वर्ष 2010 में सरकार ने बंद की निगम की बसें।
5000 करोड़ रुपए से अधिक की शासकीय संपत्ति पर है विवाद।
राजस्व का हो रहा नुकसान
श्यामसुंदर शर्मा का कहना है कि सड़क परिवहन निगम बंद करने से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। निजी बसों में अवैध रूप से लगेज ले जाया जाता है। इसकी जांच तक नहीं की जाती है। सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है।
 

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