सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुभाष चंद्र सिंह ने अपनी रिसर्च में यह साबित किया है। भोपाल निवासी डॉ. सिंह का यह रिसर्च इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसे नागपुर में विज्ञान कांग्रेस में भी प्रस्तुत किया है।
निकलती है सरस्वती, रिसर्च में इन तथ्यों से हुई पुष्टि
● भीमकुंड में कितनी भी गंदगी हो, आधे घंटे में साफ हो जाती है, इससे प्रवाह का पता चलता है।
● भीमकुंड में पानी की समुद्रतल से ऊंचाई 430 मीटर है। इससे स्पष्ट है कि भूमिगत पानी का फ्लो प्रयाग की तरफ है।
● गुप्त गोदावरी में पानी लगातार बह रहा है, लेकिन कहां जाता है अभी तक पता नहीं चला।
● अध्ययन में बड़ा मलहरा और प्रयाग में एक जैसी चूना पत्थर की चट्टानें पाई गई हैं, जो बिजावर व विन्ध्यन युग की हैं।
● रिसर्च में पाया गया कि केन नदी भीमकुंड से प्रयाग की ओर जाने वाले लाइनामेंट को पन्ना जिले में जहां क्रॉस करती है, वहीं से उसमें पानी कम हो गया। जबकि प्रयाग के बाद गंगा नदी में पानी बढ़ जाता है।
● इस लाइनामेंट के करीब बांदा जिले में किए गए बोर में काफी मात्रा में पानी निकल रहा है।
● भीमकुंड में कितनी भी गंदगी हो, आधे घंटे में साफ हो जाती है, इससे प्रवाह का पता चलता है।
● भीमकुंड में पानी की समुद्रतल से ऊंचाई 430 मीटर है। इससे स्पष्ट है कि भूमिगत पानी का फ्लो प्रयाग की तरफ है।
● गुप्त गोदावरी में पानी लगातार बह रहा है, लेकिन कहां जाता है अभी तक पता नहीं चला।
● अध्ययन में बड़ा मलहरा और प्रयाग में एक जैसी चूना पत्थर की चट्टानें पाई गई हैं, जो बिजावर व विन्ध्यन युग की हैं।
● रिसर्च में पाया गया कि केन नदी भीमकुंड से प्रयाग की ओर जाने वाले लाइनामेंट को पन्ना जिले में जहां क्रॉस करती है, वहीं से उसमें पानी कम हो गया। जबकि प्रयाग के बाद गंगा नदी में पानी बढ़ जाता है।
● इस लाइनामेंट के करीब बांदा जिले में किए गए बोर में काफी मात्रा में पानी निकल रहा है।