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भोपाल के इस Hair Studio में संवारी जाती है साधु-संतों की सूरत, क्रोशिए से बुनी जाती है Dreadlocks hair style

आपको जानकर हैरानी होगी कि देशभर इस तरह साधु-संतों की जटाओं को संवारने वाला यह स्टूडियो अकेला भोपाल में ही है। इसीलिए देशभर से साधु-संत नाम और पता पूछते हुए यहां पहुंच जाते हैं…

भोपालAug 11, 2023 / 05:28 pm

Sanjana Kumar

धार्मिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों पर आपने लंबी-लंबी जटाओं और लटों वाले साधु-संत तो देखे ही होंगे। उन्हें देखकर हर कोई एक बार यह जरूर सोचता होगा कि आखिर ये साधु-संत इन लटों या जटाओं को कैसे संभालते होंगे, क्या उन्हें कभी भी इन लटों को संवारने की जरूरत नहीं पड़तीï? ये सभी सवाल मन में आना लाजिमी हैं। लेकिन आपको बता दें कि लंबी जटाएं, लंबे बाल रखना तो आसान है, लेकिन उन्हें सुलझाना, संवारना उनकी केयर करना उतना ही मुश्किल बन पड़ता है। लेकिन ऐसी जटाओं और लंबे-घने बालों के शौकीन इन साधु-संतों के लिए प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा स्टूडियो है, जहां इनकी जटाओं को सुलझाया, संवारा जाता है, वो भी बिना किसी चार्ज के। आपको जानकर हैरानी होगी कि देशभर इस तरह साधु-संतों की जटाओं को संवारने वाला यह स्टूडियो अकेला भोपाल में ही है। इसीलिए देशभर से साधु-संत नाम और पता पूछते हुए यहां पहुंच जाते हैं।

इस स्टूडियो को शुरू करने का करिश्मा करने वाला कोई युवा या पुरुष नहीं बल्कि, एक युवती है, वह भी इंजीनियर। इस इंजीनियर जटा संवारने वाली एक्सपर्ट का नाम है करिश्मा शर्मा। करिश्मा ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल तो कर ली, लेकिन मन में कुछ और करने का सपना उन्हें इस फील्ड में ले आया।

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युवाओं में बढ़ा चलन

करिश्मा बताती हैं कि इस तरह के हेयर्स को हेयर ड्रेडलाक हेयर स्टाइल कहा जाता है। ड्रेडलाक हेयर स्टाइल का क्रेज लंबे समय से चला आ रहा है, जिसे ऋषि-मुनि रखा करते थे। लेकिन अब ये शौक शहर के युवाओं में भी सिर चढ़कर बोल रहा है। ये युवा अब ड्रेसअप के साथ अपनी हेयरस्टाइल पर भी ध्यान दे रहे हैं। करिश्मा का कहना है कि वह साधु-संतों के लंबे बालों को संवारने का कोई चार्ज नहीं लेतीं। वहीं उनके पास उनकी बालों की केयर करवाने के लिए साधु-संत एमपी से ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों से आते हैं।

बेहद खर्चिला है लटें बनाना

करिश्मा कहती हैं कि ड्रेडलाक हेयर को संवारना बड़ा कठिन काम है। वहीं इसमें खर्चा भी बहुत आता है। ड्रेडलॉक की एक लट बनाने में 200 रुपए से 2000 रुपए तक का खर्च आता है। वहीं यदि पूरे बालों को ही ड्रेड लुक स्टाइल दिया जाए तो खर्चा 60 हजार रुपए के पार तक पहुंच जाता है। करिश्मा के पास महीने में 10 लोग ड्रेड स्टाइल कराने आते हैं। बेहद बारीक काम लग जाते हैं 3 दिन करिश्मा बताती हैं कि ड्रेडलॉक हेयर स्टाइल बनाना बहुत ही बारीकी का काम है। इसे बनाने में 2 से 3 दिन लग जाते हैं। साथ ही यह परमानेंट हेयर स्टाइल नहीं है, इसलिए यह काम किसी टास्क से कम नहीं होता। इसमें बालों की कई ब्रेड्स बनाई जाती हैं, जिसे आप कई दिनों तक कैरी कर सकते हैं। अगर कोई शौक पूरा करने के लिए हेयर स्टाइल बनाना चाहते हैं, तो उसके लिए रबर बैंड हेयरस्टाइल सबसे अच्छा ऑप्शन है। इसमें कलरफुल बीड्स के साथ हेयर स्टाइल बनाया जाता है। जब आपका शौक पूरा हो जाए तब आप फिर से बालों को नार्मल कर सकते हैं।

करिश्मा कहती हैं कि साल 2012 में वे पहली बार छिंदवाड़ा से भोपाल आई थीं। यहां एलएनसीटी कॉलेज में इंजीनियरिंग में कम्प्यूटर साइंस ब्रांच में एडमिशन लिया। 2016 में इंजीनियरिंग कंप्लीट की। इंजीनियरिंग तो सिर्फ एकेडमिक के लिए था, लेकिन मन कुछ और ही करना चाहता था। इंजीनियरिंग के दौरान लगता था कि हर इंसान पढ़ाई के चक्कर में बस दौड़ रहा है। दूसरी तरफ मैं मानती थी कि जिंदगी में जो भी करूं, कुछ अलग कंरू। इसी के चलते पढ़ाई के साथ यह काम शुरू किया। ड्रेडलॉक हेयर आर्टिस्ट करिश्मा शर्मा को ये ब्रेडिंग स्टूडियो शुरू करने का विचार तब आया जब खुद उन्होंने जटा लट रखना शुरू किया। वो बताती हैं कि लट रखने के बाद उन्हें लगा कि इसकी केयर करना बेहद मुश्किल है।

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टैटू की ट्रेनिंग से की कुछ नया करने की शुरुआत इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने के बाद भोपाल में ही करिश्मा ने टैटू की ट्रेनिंग शुरू कर दी। करीब एक साल ट्रेनिंग की। यहीं एक साल तक जॉब भी की। एक साल बाद मिनाल क्षेत्र में छोटा सा पार्लर शुरू किया। शुरुआत में सिर्फ एक चेयर थी। ज्यादा संसाधन भी नहीं थे। जब परिवार वालों को पता चला कि करिश्मा ने हेयर पार्लर शुरू किया है, तो बहुत नाराज हुए। असल में बचपन में वे साधारण लड़की थीं। आर्ट फील्ड में जाने की शुरुआत मेले में जाने से हुई। वहां 10-10 रुपए के टैटू गुदवाती थी।

साधुओं के बाल संवारना बड़ा चैलेंजिंग

करिश्मा के मुताबिक कई महिला और पुरुष साधु उनके पास अपनी जटाएं ठीक करवाने आते हैं। यह काम अपने आप में ही चैलेंजिंग है। इनके बालों को संवारने के लिए बालों को प्रॉपर तरीके से क्लीन करना पड़ता है। कई बार इनके बालों में क्रोशिया की पिन तक अंदर नहीं जाती। क्योंकि 20-30 साल तक जिनके बालों में घी, हल्दी आदि चीजें जाती हैं। तो उसे जटाएं सख्त हो जाती हैं।

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इस ट्रीटमेंट से संवारे जाते हैं साधुओं के बाल

करिश्मा बताती हैं कि साधुओं के बाल ज्यादा लंबे और वजनी होने के कारण कई जगहों से टूट जाते हैं। इन्हें पहले से ही संभालने की कोशिश करते हैं। लेकिन, बीच-बीच में टूट जाने से वह परेशान होते हैं। इन बालों को टूटी हुई जगह से क्रोशिया से बुनती हूं, ताकि वह मजबूत हो जाएं। इसके बाद यह ऐसे हो जाते हैं कि अगले 10 साल तक भी परेशानी नहीं होती। करिश्मा ने अब तक 50 से ज्यादा साधुओं के बालों (जटाओं) को संवारा है। 100 से अधिक साधुओं के शिष्य और दास उनके कॉन्टैक्ट में हैं। करिश्मा साधु-संतों के बाल केवल सेवा भाव से संवारती हैं। हालांकि वह यह भी कहती हैं कि यह आर्ट महंगा है। लेकिन यह उनका सौभाग्य है कि वो ऐसे लोगों के लिए कुछ कर पा रही हैं, जो पहले से इतनी तपस्या कर चुके हैं।

अब करते हैं एप्रिशिएट

वहीं फैमिली का छिंदवाड़ा में छोटा सा पार्लर भी है। परिवार की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी, इसलिए वे चाहते थे कि करिश्मा इंजीनियरिंग के बाद जॉब करे। यही कारण है कि नाराजगी के चलते दो-तीन साल तक उन्होंने करिश्मा से बात नहीं की। करिश्मा बताती हैं कि लोगों ने भी उन्हें बहुत कुछ कहा, लेकिन वे अपने इरादों पर अडिग रहीं। अब जब करिश्मा ने बड़ी सक्सेस पाई है, तो विरोध करने वाले वही लोग उन्हें एप्रिशिएट करते हैं। करिश्मा अब टैटू, पीयरर्सिंग और ड्रेडलॉक जैसे काम करती हैं।

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