भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार की मामूली से गलती के कारण लाखों कर्मचारियों को
रक्षाबंधन से पहले सातवां वेतनमान का लाभ मिलना मुश्किल हो गया है। सरकार जुलाई माह से ही सातवां वेतनमान देने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक लेटलतीफी के कारण हजारों कर्मचारियों को जुलाई माह का वेतन 7 अगस्त के बाद ही मिल पाएगा। ऐसे में कई छोटे कर्मचारियों को त्योहार पर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश सरकार ने जुलाई माह के वेतन में ही सातवां वेतनमान का एरियर्स और वेतन जोड़कर देने का फैसला किया था। लेकिन, अगस्त के प्रथम सप्ताह में जब जुलाई के वेतन पर ही संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
नियम ही तैयार नहीं हुए
सूत्रों के मुताबिक बड़े विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों का जुलाई माह का वेतन खटाई में पड़ सकता है। ऐसा भी संभव हो कि रक्षा बंधन जैसे त्योहार के पहले यह वेतन मिलना मुश्किल हो। बताया जा रहा है कि वेतन के संबंध में फिलहाल नियम ही तय नहीं हो पाए है, इस कारण आठ से दस दिनों का वक्त नियमों को फाइनल करने में लग सकता है। इस संबंध में प्रत्येक अधइकारी और कर्मचारी से विकल्प भरवाकर सहमति पत्र लिए जाने की तैयारी है।
वित्त विभाग पहुंची सातवें वेतनमान की फाइल
सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह कैबिनेट के फैसले की फाइल वित्त विभाग तो पहुंच गई है, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ी है। इसी आधार पर नए नियम बनेंगे नए फार्मूले को तय किया जाएगा। क्योंकि प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी के सैलरी की गणना 31 दिसंबर 2016 से अब तक की जाना है। उनका एरियर्स कितना होता है, उसी आधार पर एचआरए जैसे वेतनभत्ते तय किए जाएंगे।
पुराना वेतनमान भी ले सकते हैं कर्मचारी
इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन की गणना करने के लिए साफ्टवेयर भी तैयार कराया गया है। इसमें कर्मचारी का कोट, वेतन और पद दर्ज किया जाएगा। इसी के आधार पर प्रिंट निकालकर सहमति पत्र भरवाया जाएगा, उसके बाद एचओडी को सौंपा जाएगा। इस पत्र में यह भी प्रावधान किया गया है कि कोई कर्मचारी अपने पुराने वेतन से ही संतुष्ट है तो वह पुराना वेतनमान ही जारी रख सकेगा, यदि कर्मचारी नए वेतनमान का लाभ लेना चाहता है तो उसे सहमति पत्र में लिखकर देना होगा कि वह सातवां वेतनमान लेना चाहता है। इन कागजी प्रक्रिया के चलते वेतन मिलने में विलंब होने की आशंका है। इस कारण माना जा रहा है कि वेतन
रक्षाबंधन के पहले नहीं मिल पाए।
कई राज्यों के उदाहरणों पर हो रहा काम
वित्त विभाग के मुताबिक कई राज्यों में दिए गए वेतनमान के उदाहरण भी लिए जा रहे हैं। उसी आधार पर नियम बनाकर मध्यप्रदेश में यह वेतनमान कर्मचारी के हाथ में दे दिया जाएगा। इसलिए नियम बनने में आठ से 10 दिनों का समय लग सकता है। नए वेतनमान के लिए नया फार्मूला तैयार किया जा रहा है। विभिन्न विभागों को वेतन की गणना करने में समस्या न हो इसलिए हर ग्रेड के कर्मचारियों के लिए उदाहरण तैयार किए जा रहे हैं।
कम कर्मचारी वाले विभागों में उम्मीद
सूत्रों के मुताबिक कई विभाग ऐसे जिन में हजारों की संख्या में कर्मचारी और अधिकारी काम करते हैं। ऐसी स्थिति में जिन दफ्तरों में कम कर्मचारी हैं वहां तो जुलाई अंत में ही वेतन बांट दिया जाएगा। जबकि ज्यादा संख्या वाले विभागों में आठ से दस दिनों का समय ज्यादा लग सकता है।
तो अगस्त में ही मिलेगा वेतन
प्रदेश के कई कर्मचारी संगठनों ने भी आशंका जताई है कि जुलाई के वेतन में सातवां वेतन मिल पाना मुश्किल है। क्योंकि कर्मचारियों को एक माह का विकल्प नहीं मिल पाया है। हर माह की बीस तारीख से बिल लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके साथ ही इसी माह इंक्रीमेंट भी लगना है। इसकी भी गणना होना है। ऐसे में नए फार्मूले से नया वेतनमान बनाना है। कर्मचारियों की एंट्री सर्विस बुक में होती है। इन सभी कामों में वक्त ज्यादा लगता है। इसलिए संभावना व्यक्त की जा रही है कि जुलाई माह तक यह वेतन नहीं मिल पाए। इसके अलावा अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी आशंका जताई है कि आठ से दस दिन ज्यादा लग सकता है इसलिए संभावना है कि त्योहार से पहले वेतन मिल पाए।