जितेन्द्र कुमार को तीन साल पहले बर्रई में फ्लैट क्रमांक ६९३ आवंटित हुआ। लेकिन अब तक ये गृह प्रवेश नहीं कर पाए। अपना अवास होने के बाद भी किराए के मकान में रह रहे हैं। इन्होंने बताया छत से पानी आ रहा है। पहले ये एक कमरे तक सीमित था अब पूरे हिस्से में हालात है। सुधार के लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं। बीडीए की ओर से केवल आश्वासन मिले हैं। अब तक आवेदन लेने से इंकार कर देते हैं। दस लाख रुपए खर्च करने के बाद भी किराए के मकान में रह रहे हैं। इस तरह के कई और भी मामले हैं।
कैम्प लगा वसूली
बर्रई क्षेत्र में बीडीए ने जो कॉलोनी विकसित की वह नगर को हैंडओवर हो चुकी है लेकिन यहां लोगों को अब तक कोई फायदा नहीं मिला। कॉलोनी हैंडओवर होने के बाद निगम के पास सड़क, साफ सफाई की व्यवस्था ही है। बाकी इंतजामों को यहां एजेंसी देख रही है। जिसके रहवासियों से शुल्क लिया जाता है। सम्पत्ति कर वसूली के लिए यहां कैम्प लगा है। नगर निगम के जरिए राशि ली जा रही है।
सुधार की कोशिश शिकायते मिली हैं। जहां भी मामले आ रहे हैं कोशिश है उसमें सुधार कराए जाए। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। नगर निगम को भी कुछ कॉलोनी हैंडओवर की गई हैं।
बीके वैद्य, सीईओ,बीडीए