मंत्री सिंह ने कहा कि पूरा विश्वास है कि इस फेस्टिवल का स्वरूप हर साल बढ़ता जायेगा। उन्होंने कहा कि अगले फेस्टिवल में प्रदेश की जनजातीय और धार्मिक कहानियों को भी बेहतर स्थान मिलेगा। सिंह ने कहा कि प्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी, राहत इंदौरी, हरिशंकर परसाई जैसी अनेक हस्तियों के लिये जाना जाता है।
‘अध्ययनशील बनिये”
सिंह ने विद्यार्थियों से कहा कि ‘अध्ययनशील बनिये” सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक ऐसी संस्था हो, जिसमें इस क्षेत्र में कार्य करने वाले विद्यार्थियों को बेहतर मार्गदर्शन मिल सके। सिंह ने लेखकों की किताबों का जिक्र करते हुए खुले मन से उनकी प्रशंसा की।
सिंह ने वर्तुल सिंह की ‘भोपालनामा”, श्रेयांश दीक्षित की ‘व्हेन आई मेट माई सेल्फ”, डॉ. रीमा आहूजा की ‘प्री इन्डिपेंडेंस इण्डिया”, ईशा वाश्यम दास की ‘मर्डर एट मूनलाइट कैफे एण्ड अदर स्टोरीज”, रघुराज राजेन्द्रम् की ‘थ्री एस एण्ड अवर हेल्थ” और बारह वर्ष की जुड़वा बहन भव्या और नव्या सिंह की ‘पोस्ट मिलेनियल टेल्स” पुस्तक का विमोचन किया।
मंत्री सिंह ने स्टोरी राइटिंग कॉम्पटीशन के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। स्टोरी राइटिंग पर्यावरण, विज्ञान और रिश्ते-नातें विषय पर की गई। उन्होंने कुंवर इन्द्रजीत सिंह, ऋचा श्रीवास्तव, अनीता चौकसे, सुमित, कुलदीप शर्मा, रामकिशोर त्रिपाठी, सारा सैय्यद, झनक सिंह, प्रांजल राय, अमित गुप्ता, पूर्वा चौकसे, लोकेश गुलियानी, संतोष बकाया, प्रशांत चटर्जी, आशीष सहाय श्रीवास्तव, आईसा सिकंदर, अमृता मोटवानी, कृति केसरी, जरीबा खातून, अदीना सैय्यद, सलीका श्रीवास्तव, सोमेश भगवानी, प्रज्ञा चौधरी, योगेश शर्मा और अक्षय शर्मा को पुरस्कृत किया। उन्होंने जूरी के सदस्यों सीमा रायजादा और मंगला गौरी को भी सम्मानित किया।