120 दिन में पेश किया जाएगा चालान
आमतौर पर लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू से जुड़े केस में चालान की अनुमति नहीं मिलने से केस सालों तक लंबित रहते हैं। नए कानून और प्रावधान के बारे में वेबिनार में आइजी इंटेलीजेंस डॉ. आशीष ने बताया कि ऐसे केस में 120 दिन में अनुमति नहीं मिली तो स्वत: अनुमति मान ली जाएगी और चालान पेश किया जा सकेगा।महिला और बच्चों के लिए e-FIR की व्यवस्था
महिला बच्चों के साथ हुए अपराध के केस में अब उन्हें पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बल्कि अब वे e-FIR की सुविधा का लाभ ले सकेंगे।ये भी खास
- कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य उपकरणों के मैजेस जैसे साक्ष्य स्वीकार किए जाएंगे।
- केस डायरी, एफआइआर, आरोप-पत्र आदि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण होगा।
- इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी।
- वीसी के जरिए भी कोर्ट में पेशी की जा सकेगी।
- अब 60 दिन के अंदर आरोप तय होंगे।
- मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में ही सुनाना होगा फैसला।
- ई-एफआइआर मामले में फरियादी 3 दिन के अंदर थाने में FIR की कॉपी पर साइन कर सकेंगे।
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नाबालिग की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराध
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जयदीप प्रसाद ने बताया कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं। बच्चों से अपराध करवाना और उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा। -नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल की जाएगी। -नाबालिग से गैंगरेप किए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। -नए कानूनों के अनुसार पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज किया जा सकेगा।
-इसी प्रकार महिला से गैंगरेप में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास, यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा। ये भी पढ़ें: Fitness Mantra: नेशनल डॉक्टर्स डे पर ने डॉक्टरों ने बताए अपने फिटनेस मंत्र, इनकी तरह आप भी रह सकते हैं हेल्दी और खुश