भोपाल स्थित स्पेशल कोर्ट ने विधायक लोधी और उनके सहयोगियों को दो साल की सजा सुनाई थी। कानून में प्रावधान है कि अगर किसी भी जनप्रतिनिधि को दो साल की सजा होती है तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। विधानसभा सचिवालय ने भी कोर्ट के फैसले को पढ़ने के बाद यह निर्णय लिया है। अब पवई से विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी की सदस्यता खत्म कर दी गई है। विधानसभा के वेबसाइट पर पवई विधानसभा सीट को रिक्त दिखाया जा रहा है। प्रह्लाद सिंह लोधी कांग्रेस नेता मुकेश नायक को पिछले विधानसभा चुनाव में हराया था।
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में 109 सीटें जीती थीं। जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान वहां से विधायक रहे जीएस डामोर को सांसद बनने के बाद सीट छोड़नी पड़ी। फिर झाबुआ में उपचुनाव हुए तो बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई और कांग्रेस के कब्जे में चली गई। अब पवई से विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता खत्म होने के बाद सदन में बीजेपी विधायकों की संख्या 107 रह गई है। ऐसे में देखा जाए तो अब कमलनाथ की सरकार पूर्ण बहुमत में आ गई है। अब सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।