मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रह्लाद लोधी को सजा के बाद विधानसभा सचिवालय ने फैसले की कॉपी मांगी है। रिपोर्ट के अध्ययन के बाद विधानसभा सचिवालय जल्द ही कोई फैसला ले सकता है। इससे पहले मध्यप्रदेश में विधायक आशा रानी की भी सदस्यता खत्म हो चुकी है। अगर प्रह्लाद लोधी की सदस्या खत्म होती है तो बीजेपी विधायकों की संख्या मध्यप्रदेश में और कम हो सकती है।
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में 109 सीटें जीती थीं। जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान वहां से विधायक रहे जीएस डामोर को सांसद बनने के बाद सीट छोड़नी पड़ी। फिर झाबुआ में उपचुनाव हुए तो बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई और कांग्रेस के कब्जे में चली गई। ऐसे में अब मध्यप्रदेश में विधायकों की संख्या 108 है। अगर प्रह्लाद लोधी की सदस्यता खत्म होती है तो विधायकों की संख्या 107 हो जाएगी।
क्या हैं नियम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।