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भोपाल

मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए बुरी खबर! खत्म हो सकती है एक विधायक की सदस्यता

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अगर किसी भी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो वह उसी तारीख से अयोग्य ठहरा दिया जाएगा

भोपालNov 02, 2019 / 03:22 pm

Muneshwar Kumar

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भोपाल/ मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए एक और बुरी खबर हो सकती है। झाबुआ गंवाने के बाद ऐसे ही एक सीट कम हो गई है। अब एक और विधायक की सदस्यता पर खतरा है। पवई से बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी सहित बारह लोगों को मारपीट के मामले में दो-दो साल की सजा हुई है। साथ ही साढ़े तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगा है। ऐसे में अब उनकी सदस्यता खत्म हो सकती है। स्पेशल कोर्ट के फैसले पर विधानसभा सचिवालय ने रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, प्रह्लाद लोधी और उनके सहयोगियों ने रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर उनके साथ मारपीट की थी। स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश सुरेश सिंह ने यह फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट में अपील के लिए प्रह्लाद लोधी एक माह की मोहलत मिल गई। मामला वर्ष 2014 का है। जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि सतना जिले की तहसील रैपुरा में पदस्थ तहसीलदार आरके वर्मा ने 28 अगस्त 2014 को सिमरिया थाना अंतर्गत रेत से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली को जब्त कर थाने में खड़ा करा दिया था।
विधानसभा सचिवालय ने मांगी रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रह्लाद लोधी को सजा के बाद विधानसभा सचिवालय ने फैसले की कॉपी मांगी है। रिपोर्ट के अध्ययन के बाद विधानसभा सचिवालय जल्द ही कोई फैसला ले सकता है। इससे पहले मध्यप्रदेश में विधायक आशा रानी की भी सदस्यता खत्म हो चुकी है। अगर प्रह्लाद लोधी की सदस्या खत्म होती है तो बीजेपी विधायकों की संख्या मध्यप्रदेश में और कम हो सकती है।
संख्या बल में स्थिति हो जाएगी कमजोर
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में 109 सीटें जीती थीं। जिसमें लोकसभा चुनाव के दौरान वहां से विधायक रहे जीएस डामोर को सांसद बनने के बाद सीट छोड़नी पड़ी। फिर झाबुआ में उपचुनाव हुए तो बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई और कांग्रेस के कब्जे में चली गई। ऐसे में अब मध्यप्रदेश में विधायकों की संख्या 108 है। अगर प्रह्लाद लोधी की सदस्यता खत्म होती है तो विधायकों की संख्या 107 हो जाएगी।

क्या हैं नियम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।

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