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दिल्ली रवाना हुए कमलनाथ
हालांकि, प्रत्याशियों के चयन की बात करें, तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस इसमें आगे है। अब तक भाजपा ने अधिकारिक तौर पर अपने किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है, बावजूद इसके संभावित नेता पूरे दमखम के साथ क्षेत्रों में ब्रांडिंग कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस ने अब तक 15 नामों की पहली सूची जारी कर दी है और जल्द ही अपनी दूसरी सूची के बचे 13 नामों की घोषणा भी करने वाली है। पार्टी सूत्रों की मानों तो आगामी तीन-चार दिनों के भीतर कांग्रेस अपनी दूसरी सूची भी जारी करने वाली है। यही वजह है कि, पीसीसी चीफ कमलनाथ अपने ग्वालियर दौरे के तुरंत बाद ही दिल्ली रवाना हो गए हैं। वहां उन्हें सूचीगत नामों पर मौहर लगवाने के लिए ही राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिलना है।
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भाजपा की सूची तय, जल्द करेेगी ऐलान- वीडी शर्मा
इधर, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का दावा है कि, सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय किये जा चुके हैं। जल्द ही पार्टी की और से ओपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। उन्हें ये भी कहा कि, इसके साथ ही कार्यकारिणी का भी ऐलान किया जाएगा। हालांकि, अब तक भाजपा की ओर से उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन संभावित उम्मीदवार अपने अपने इलाकों में प्रचार शुरु कर चुके हैं और अपने नाम पर वोट की मांग भी करते देखे जा रहे हैं।
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कांग्रेस 15 उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर चुकी
कांग्रेस ने पहली सूची में 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। शेष 13 सीटों में से ब्यावरा को छोड़कर सभी 12 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं। रविवार को दिल्ली में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक और पार्टी के प्रमुख नेता कमलनाथ, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रदेश स्तर पर फाइनल की गई सूची सौंपते हुए क्षेत्र में प्रत्याशी की ख्याति से अवगत कराएंगे। फिर कांग्रेस के आला नेताओं की ओर से जिन नामों को स्वीकृति मिल जाएगी, उन्हें अपनी दूसरी सूची के जरिये घोषित कर देंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो आगामी 22 सितंबर तक दिल्ली से ही सूची जारी की जा सकती है।
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पूर्व विधायकों को टिकट देने पर गौर
पार्टी के सामने नामों की घोषणा नहीं करने का सबसे बड़ कारण पूर्व विधायकों का विरोध है। जौरा, आगर और ब्यावरा समेत कुछ सीट के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर मेहनत करनी पड़ रही है। यह बात और है कि, भाजपा ने अब तक आधिकारिक तौर पर किसी भी प्रत्याशी के नाम घोषित नहीं किये हैं, लेकिन मुख्यमंत्री खुद क्षेत्रों में जाकर इन उम्मीदवारों के लिए प्रचार करनें में जुटे हुए है।
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दूसरी पार्टी से आए नेताओं पर भरोसा
भाजपा से कांग्रेस में आई पारुल को सुरखी से टिकट मिलने की संभावना बढ़ गई है। क्योंकि वे पहले एक बार कांग्रेस से भाजपा में गए गोविंद सिंह राजपूत को मामूली अंतर से हरा चुकी हैं। इसी तरह ग्वालियर पूर्व समेत कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और बसपा से आए पार्टी नेताओं को कांग्रेस अपना प्रत्याशी बना सकती है।