जैवविविधता संरक्षण के लिए बनता है कार्ययोजना
अभी तीनों ही नेशनल पार्क में बाघ संरक्षण पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है। बायोस्फीयर रिजर्व बनने से यहां पशु, पक्षी, पौधे, जटी-बुटियों व अन्य प्रजातियों को भी संरक्षण मिलेगा। इससे लिए केंद्र सरकार कार्य योजना तैयार कर अलग से फंड मुहैया कराती है। इस सूची में शामिल होते ही एप्को इन्हें यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के लिए भी प्रकि्रया शुरू करेगा। यानी कुछ ही सालों में तीनों ही पार्क यूनेस्को की सूची में शामिल हो जाएंगे। इससे इन्हें भी विश्व पटल पर अलग पहचान मिलेगी। इससे यहां इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
ये है नेशनल पार्क की खासियत
पेंच नेशनल पार्क में पौधों की 1500 से ज्यादा प्रजातियां हैं। वहीं, 70 से ज्यादा औषधिय प्रजातियां भी हैं। यहां सर्प की 30, स्तनधारी की 38, उभयचारी की 7, पक्षियों की 242, मछलियों की 50 प्रजातियां हैं। वहीं, कान्हा में सर्प की 55, पक्षियों की 337, स्थनधारी की 70 और मछलियों की 14 प्रजातियां हैं।