मोटे अनुमान के तौर पर 500 करोड़ की आयकर चोरी बताई जा रही है। विभाग बिल्डरों समेत उनसे जुड़े लोगों के वाट्सऐप और मोबाइल चैट भी तकनीकी मदद से खंगाल रहा है। अफसरों का मानना है, जांच में मिले दस्तावेज से चैट का मिलान होगा। इससे पता चलेगा, कहां और किससे बात हुई…कितने का लेन-देन हुआ।
इधर, चेतन सिंह गौड़ की कार से जब्त 52 किलो सोना और ११ करोड़ नकदी की गुत्थी भी नहीं सुलझी है। सूत्रों का कहना है, ये रुपए और सोना सौरभ शर्मा के हैं। उसके वसूली के रुपए को ठिकाने लगाने में चेतन की कार का इस्तेमाल किया गया। देर रात सौरभ के दुबई से भारत लौटने की सूचना केंद्रीय एजेंसियों को मिली है।
एजेंसियों की मानें तो सौरभ हाजिर नहीं हुआ तो लुकआउट नोटिस जारी होगा। इसके लिए सीआइडी को सूचना दी है। बता दें, सोमवार को ईडी की दखल के बाद अब विभाग राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) से भी संपर्क किया है।
उगाही के पैसे से बिल्डर
सेंट्रल पार्क में एक एकड़ में बना रहा आलीशान बंगला लोकायुक्त को सौरभ के यहां से 234 किलो चांदी की सिल्लियां लोकायुक्त को मिली। इसके बाद मेंडोरी के जंगल से आयकर को 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकदी उसके दोस्त चेतन सिंह गौड़ की कार से मिली। बताते हैं, आरटीओ में उगाही के रुपए से ये महंगी धातुएं खरीदीं। बिल्डरों के यहां छापे के दौरान मिले दस्तावेज में सामने आया कि सेंट्रल पार्क में एक एकड़ में आलीशान बंगला बन रहा है। अभी यह साफ नहीं है कि बिल्डर बंगला रहने या होटल खोलने के लिए बना रहा है।
रायपुर के कारोबारी से आइएएस का याराना
बिल्डरों के यहां छापे में रायपुर के जिस बिल्डर का नाम आया है। उसका संबंध प्रदेश के एक युवा आइएएस अफसर के साथ निकला है। दोनों के बीच खूब बातचीत होती थी। ये अफसर भी मलाईदार विभाग में हैं।भुसावल का एजेंट था डमी, प्रॉपर्टी का काम
बिल्डरों के जमीन-जायदाद के सौदे में नया किरदार भी आया है। भुसावल का सतीश चौधरी बिल्डरों का डमी था। वह प्रॉपर्टी की खरीदबि क्री व लेन-देन में प्रमुख किरदार था। आयकर ने भुसावल से उठाया और बयान लिए।चड्डी-बनियान में भागने वाले प्रॉपर्टी ब्रोकर के पैर में फ्रैक्चर
आयकर की टीम को देख चड्डी-बनियान में भागा प्रॉपर्टी ब्रोकर किसी अस्पताल में भर्ती है। इसकी जानकारी विभाग को मिल गई है। बताते हैं, उसके पैर में फ्रैक्चर आया है।काली कमाई में एक हिस्सा प्रॉपर्टी में, बाकी को ग्वालियर लाकर सोने में बदलता
ग्वालियर. पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा बैरियर-चैकपोस्ट ठेके पर लेता था, फिर वहां के आरटीओ स्टाफ को घर भेजकर अपनी टीम लगाकर वसूली कराता। इस कमाई से आरटीओ स्टाफ को घर बैठे हिस्सा देता था। उसने बैरियर प्रभारी और सिपाहियों के दाम तय कर रखे थे। कहता था, तुम्हें ड्यूटी पर आने की जरूरत नहीं। सौरभ कमाई का बड़ा हिस्सा सोने में बदलता था। ग्वालियर का सराफा कारोबारी उसकी मदद करता था। भोपाल आने के बाद भी ग्वालियर से ही नकदी के बदले सोना लेता था। उगाही का पैसा जमीन, होटल, स्कूल में लगाया। वह भोपाल और इंदौर में बिल्डर लॉबी का पार्टनर बना।
अशोकनगर के राजघाट बांध में 2017 में 10 साल के लिए मछली ठेका लिया। जांच एजेंसियों को सौरभ के चीन व दुबई में कई ठिकानों का पता चला है। वह अक्सर विदेश जाता था।