खरीददार बताते हैं कि इनको खरीदने के बाद कोई विवाद नहीं रहता। किराए पर उठा दो कुछ आय भी शुरू हो जाती है। वहीं इसके विपरीत प्लॉट में खरीदकर डालने पर पता चलता है कि सोसायटी में अध्यक्ष बदल गए, प्लॉट ही गायब हो गया। खाली जमीन पर किसी ने टपरा बना लिया। कहीं पड़ोसी ने नपति के बाद दो फुट प्लॉट ही दबा दिया। ऐसे विवादों से बचने अब लोग लंबे समय के लिए प्लॉट में निवेश कम करने लगे हैं।
पंजीयन विभाग के अनुसार अक्टूबर में 6476 रजिस्ट्री भोपाल में हुईं। इसमें पांच हजार के प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हैं, आपको जानकर हैरानी होगी की में से लगभग अड़तीस सौ रजिस्ट्री फ्लैट, ड्यूप्लेक्स और रीसेल प्रॉपर्टी की हैं। प्लॉट खरीदार सिर्फ 23 से 25 फीसदी है। जबकि पांच साल पीछे जाएं तो प्लॉट में निवेश करना लोगों की पहली पसंद होता था।
बावडिय़ा में 1500 वर्गफीट ड्यूप्लेक्स की रजिस्ट्री कराने वाले शांतनु कुमार ने बताया कि अवैध कॉलोनी, सोसायटियों में हो रहे विवाद के बाद उन्होंने ड्यूप्लेक्स को प्राथमिकता दी। उन्होंने रेरा तक छानबीन की। ताकि बाद में कोई विवाद न रहे।
बागसेवनिया में एक कॉलोनी में रिटायर्ड अधिकारी ने दो फीट दबाकर अपना मकान बना लिया। इसका नतीजा ये हुआ कि बाकी लोगों ने भी दो-दो फीट जगह बढ़ाकर नपति कराई। ऐसे जो महेश प्रजापति का कॉर्नर का प्लॉट है, वो दो फीट सडक़ पर आ गया।