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यह भी तय किया गया कि मूर्तियों की अधिकतम ऊंचाई छह फीट रहे। इससे आवागमन और विसर्जन में सुविधा होगी। इसको लेकर एनजीटी के 2016 के निर्देशों पर अमल किया जाएगा। जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त बैठक में आगामी त्योहारों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
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बैठक में कहा गया कि मूर्ति विसर्जन वाले आयोजनों के एक-दो दिन पहले घाटों से नाव परिचालन पूरी तरह बंद किया जाएगा। ऐसे नाविकों को नगर निगम में अस्थाई तौर पर अटैच किया जाएगा, जो घाटों पर गोताखोर की भूमिका निभाएंगे।
आईजी योगेश देशमुख ने बताया, नाविकों को नाव चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। झांकी मंडलियों के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बैठक में संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव और कलेक्टर तरुण पिथोड़े उपस्थित थे।
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इन 10 फैसलों से लगाम लगाने की तैयारी
1. मूर्तियों की ऊंचाई अधिकतम छह फीट रहे।
2. घाटों को बेरिकेटिंग कर सुरक्षित किया जाएगा।
3. पानी की गहराई देखकर डेंजर मार्क लगेंगे। रस्से से बेरिकेटिंग होगी।
4. झांकी समितियों और आयोजकों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
5. अब जुलूस के लिए रूट सुनिश्चित किया जाए।
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6. मूर्ति विसर्जन निर्धारित समय पर ही किया जाएगा।
7. विसर्जन स्थल पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था।
8. मूर्ति विसर्जन के लिए सुरक्षित स्थान चिह्नित होंगे।
9. बड़ी मूर्तियों का विसर्जन क्रेन और प्रशिक्षित टीम करेगी।
10. एनजीटी के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
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रजिस्ट्रेशन व सुरक्षा की जवाबदारी
डीआईजी इरशाद वली ने बताया कि नाव चलाने के लिए नाविकों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। दक्षता परीक्षण के बाद ही नाव चलाने की अनुमति दी जाएगी। नाव में लाइफ जैकेट रखनी होगी। नाव अनफिट मिलने पर रजिस्ट्रेशन रद्द हो जाएगा।