कार्रवाई को लेकर असमंजस
सूत्रों के मुताबिक जिला स्तर पर कलेक्टरों को पराली जलाए जाने संबंधी आंकड़े और लोकेशन मुहैया कराई जा रही है, पर जुर्माना समेत अन्य कार्रवाई को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक धान, ज्वार समेत मक्का आदि फसलों का रकबा बढऩे से इस साल खरीफ सीजन में पराली जलाने के मामले ज्यादा सामने आए हैं। इसकी वजह इन फसलों के अवशेषों का रोटावेटर या अन्य कृषि उपकरणों से खत्म नहीं होना है। इस पूरी प्रक्रिया में खर्च भी अधिक आता है। इससे बचने के लिए किसान खेतों में आग लगाते हैं।
जमीन मसेत वायु को नुकसान
खेतों में बचे कृषि अवशेषों को जलाने से मिट्टी के पोषक तत्वों को खासा नुकसान होता है। इसके अलावा मिट्टी की उवर्रकता को बनाए रखने में सहयोगी सूक्ष्म जीवों की कमी होती है। पराली जलाने से इससे होने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
वर्जन
सेटेलाइट मॉनीटरिेंग के जरिये मिलने वाले रियल टाइम आंकड़े और लोकेशन को रोजाना सभी कलेक्टरों को भेजा जा रहा है। सेटेलाइट इमेज से गांवों और वहां के खेतों के साथ ही वहां लगी आग के समय की सटीक जानकारी मिलती है।
राजीव चौधरी, कृषि अभियांत्रिकी विभाग
सूत्रों के मुताबिक जिला स्तर पर कलेक्टरों को पराली जलाए जाने संबंधी आंकड़े और लोकेशन मुहैया कराई जा रही है, पर जुर्माना समेत अन्य कार्रवाई को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक धान, ज्वार समेत मक्का आदि फसलों का रकबा बढऩे से इस साल खरीफ सीजन में पराली जलाने के मामले ज्यादा सामने आए हैं। इसकी वजह इन फसलों के अवशेषों का रोटावेटर या अन्य कृषि उपकरणों से खत्म नहीं होना है। इस पूरी प्रक्रिया में खर्च भी अधिक आता है। इससे बचने के लिए किसान खेतों में आग लगाते हैं।
जमीन मसेत वायु को नुकसान
खेतों में बचे कृषि अवशेषों को जलाने से मिट्टी के पोषक तत्वों को खासा नुकसान होता है। इसके अलावा मिट्टी की उवर्रकता को बनाए रखने में सहयोगी सूक्ष्म जीवों की कमी होती है। पराली जलाने से इससे होने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
वर्जन
सेटेलाइट मॉनीटरिेंग के जरिये मिलने वाले रियल टाइम आंकड़े और लोकेशन को रोजाना सभी कलेक्टरों को भेजा जा रहा है। सेटेलाइट इमेज से गांवों और वहां के खेतों के साथ ही वहां लगी आग के समय की सटीक जानकारी मिलती है।
राजीव चौधरी, कृषि अभियांत्रिकी विभाग