कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद Arif Masood ने हाईकोर्ट में बीजेपी के ध्रुव नारायण सिंह Dhruvnarayan Singh की याचिका निरस्त करने की याचिका दायर की थी। बाद में वे सुप्रीम कोर्ट गए। शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट में केस की फिर सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने ध्रुव नारायण की याचिका पर अंतिम तर्क सुनने के बाद माना कि विधायक आरिफ मसूद Arif Masood ने कर्ज की जानकारी छिपाई। कोर्ट ने कहा कि एसबीआई बैंक, भोपाल के कर्ज संबंधी दस्तावेज सत्य और बैंक अधिकारी द्वारा अधिकृत हैं।
कोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद Arif Masood की सभी आपत्तियों को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि विधायक आरिफ मसूद की आपत्तियों पर नए सिरे से विचार करने की कोई जरूरत नहीं है।
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याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट अजय मिश्रा ने बताया कि हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के आवेदन और सभी आपत्तियों को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने कर्ज के दस्तावेजों को सही मानते हुए कहा कि ये किसी भी प्रकार से कूट रचित नहीं माने जा सकते। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि विधायक आरिफ मसूद की सदस्यता खत्म हो सकती है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को रखी गई है।
याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट अजय मिश्रा ने बताया कि हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के आवेदन और सभी आपत्तियों को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने कर्ज के दस्तावेजों को सही मानते हुए कहा कि ये किसी भी प्रकार से कूट रचित नहीं माने जा सकते। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि विधायक आरिफ मसूद की सदस्यता खत्म हो सकती है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को रखी गई है।
ध्रुवनारायण सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने अपने नामांकन में कई जरूरी जानकारियां नहीं दीं। इसमें कर्ज की जानकारी भी शामिल है। विधायक मसूद ने स्वयं और अपनी पत्नी के नाम पर लिए गए करीब 50 लाख रुपए के कर्ज की जानकारी नामांकन पत्र में नहीं दी।
ध्रुव नारायण सिंह की याचिका को निरस्त करने के लिए कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पहले हाईकोर्ट गए और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चले गए। आरिफ मसूद ने कर्ज के दस्तावेजों को फर्जी बताया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फिर से मामले की सुनवाई के निर्देश दिए थे जिसके बाद जबलपुर कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की।