रामसर साइट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमृत जलाशय की श्रेणी में शामिल बड़ा तालाब का एफटीएल और कैचमेंट को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बना पाए। कैचमेंट में करीब डेढ़ सौ अफसरों और राजनेताओं की जमीनें हैं जिसके लिए खींचतान की स्थिति बनती है। तालाब किनारे भी 400 पक्के निर्माण हैं। यदि तालाब को सुरक्षित किया जाता है तो यह निर्माण तोडऩे होंगे और निर्माण को बचाया जाता है तो तालाब संरक्षण से समझौता करना होगा। 19 साल से ये मुद्दा बना हुआ है।
शहर किनारे वाइल्ड लाइफ से भरपूर 6000 हेक्टेयर के वन क्षेत्र में क्या लैंडयूज हो कि यह सुरक्षित भी रहे और शहरी गतिविधियां भी चलती रहें। 19 साल बाद भी यह तय नहीं किया जा सका है। यहां 100 से अधिक बड़े निर्माण हो चुके हैं। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी के साथ बड़े फार्म हाउस, रिसोर्ट- बंगले भी बना दिए गए। अब मास्टर प्लान में यहां कोई बेहतर उपयोग तय कर उस जमीन से कमाई की कोशिश है। अब इन जमीनों पर कमाई का रास्ता खुलता है तो जंगल प्रभावित होगा, यदि जंगल और वाइल्डलाइफ सुरक्षित की जाती है तो फिर करोडों-अरबों रुपए की जमीन शून्य पर आ जाएगी।
एफएआर जमीन के क्षेत्रफल से निर्माण कितना किया जा सकता है ये तय होता है। शहर में औसत एफएआर 1.25 है। यानी 1000 वर्ग फीट के ह्रश्वलॉट पर 1250 वर्ग फीट तक का निर्माण किया जा सकता है। बिल्डर और अतिरिक्त निर्माण से कमाई की चाह रखने वाले लोग शहर में तीन से चार का एफएआर तय करवाना चाहते हैं।
अरेरा कॉलोनी में एफएआर को दो से तीन करने की मांग होती रही है, रद्द हुए मास्टर प्लान 2031 में फ्लैक्सिबल एफएआर था, जिसमें अतिरिक्त निर्माण के लिए कलेक्टर गाइडलाइन से एफएआर की खरीद फरोख्त का फार्मूला था। शहर के कोर एरिया में मात्र 0.25 एफएआर रखकर बिल्डरों से मोटी कमाई की कवायद की थी।
शहर में 1975 में तय मास्टर प्लान की 45 सड़कें अब तक नहीं बन पाई हैं। शहर में आवाजाही की व्यवस्था को बेहतर करने और हर क्षेत्र को एक दूसरे से जोडऩे के लिए मास्टर प्लान में ये सडकें प्रस्तावित की गई थीं, लेकिन इन सड़कों की जमीनों पर लोगों ने कॉलोनियां विकसित कर ली। कई पर बड़े आवासीय और व्यावसायिक परिसर भी बन गए। स्थिति यह है कि कोई मास्टर ह्रश्वलान रोड कुछ मीटर ही बन पाई।
मास्टर प्लान के मुद्दों को तुरंत हल करना चाहिए। इन्हें ज्यादा लंबे समय तक खींचने से शहर का नियोजन गड़बड़ा गया है। शहर को विकास के रास्ते पर बढ़ाने के लिए इन प्रमुख मुद्दों का निराकरण जरूरी है।
– सुयश कुलश्रेष्ठ, टाउन प्लानर