राजधानी की मध्य विधानसभा में इस बार मुकाबला रोचक होगा। पुराने शहर और नए शहर में लगभग बराबर की हिस्सेदारी वाली इस विधानसभा में वोटिंग के साथ मतगणना का पैटर्न भी लगभग फिक्स है। 2013 में 70 हजार वोट लाने वाला विजयी बना था तो 2018 मे विजयी उम्मीदवार को 76 हजार वोट मिले थे। इस आंकड़े के आधार पर कह सकते हैं कि इस बार भी जो उम्मीदवार 75 हजार से 80 हजार के बीच वोट लाएगा, उसकी जीत की उम्मीद ज्यादा रहेगी। इस बार भी कांग्रेस के वर्तमान विधायक आरिफ मसूद और भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह आमने सामने हैं।
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बढ़त का आंकड़ा 20 हजार के पार तो स्थिति साफ
मतगणना के दौरान सबसे ज्यादा रोचक नतीजे मध्य के ही होते हैं। इसमें सबसे पहले पुराने शहर से जुड़े क्षेत्रों की पेटियां खुलती हैं और कांग्रेसी प्रत्याशी परंपरागत वोटर्स से बढ़त हासिल करता है। दोपहर बाद तक नए शहर की पेटियां खुलने लगती हैं तो मुकाबला बराबरी पर आने की स्थिति बनती है और शाम तक ही जीत हार तय हो पाती है। यदि कांग्रेस प्रत्याशी दोपहर तक 20 हजार वोट की बढ़त ले लेता है तो फिर उसकी जीत की उम्मीद बढ़ जाती है। कांग्रेस के आरिफ मसूद ने पिछले चुनाव में दोपहर तक 28 हजार वोट की बढ़त ली थी, जिससे जीत का अंतर 14 हजार के करीब रहा। भाजपा की जीत में एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, शाहपुरा व इससे जुड़े क्षेत्र के वोटर निभाते हैं।
दो बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस जीती
10 हजार 274 लोगों के नाम हटे
मध्य विधानसभा में इस बार 247997 मतदाता हैं। 2018 में यहां 234324 मतदाता थे। पांच साल में 13 हजार 673 मतदाताओं की बढ़ोतरी हुई। 2013 में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 19 हजार 802 थी। भोपाल मध्य विधानसभा सीट से 10 हजार 274 लोगों ने नाम कटवाया है। मौजूदा विधायक के लिए ये एक बड़ा झटका है।