एमपी और यूपी के कई जिलों में सैकड़ों किमी में फैले पाठा के जंगलों में बबुली कोल गिरोह का ठौर है। इस जंगल से सटे यूपी और एमपी के जिलों में बबुली का आतंक है। पाठा क जंगल वही इलाका है, जहां कभी डकैत ददूआ का आतंक था। उसके खात्मे के बाद पाठा के जंगलों में कई छोटे-छोटे डकैत पैदा हो गए। उसी वक्त बबुली गिरोह का भी जन्म हुआ।
बेटा सो जा नहीं तो बबुली आ जाएगा
बबुली कोल पर दोनों राज्यों करीब सात लाख रुपये से ज्यादा का इनाम है। पुलिस से इसका सामना तो कई बार हुआ लेकिन हमेशा बच निकला। कहा जाता है कि पाठा के करीब 104 गांवों में में आज जब भी कोई बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है कि बेटा चुप हो जा नहीं तो बबुली कोल आ जाएगा। अब तो उसका खौफ चित्रकूट, बांदा, मानिकपुर, ललितपुर और सतना जिले में है।
बबुली कोल पर दोनों राज्यों करीब सात लाख रुपये से ज्यादा का इनाम है। पुलिस से इसका सामना तो कई बार हुआ लेकिन हमेशा बच निकला। कहा जाता है कि पाठा के करीब 104 गांवों में में आज जब भी कोई बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है कि बेटा चुप हो जा नहीं तो बबुली कोल आ जाएगा। अब तो उसका खौफ चित्रकूट, बांदा, मानिकपुर, ललितपुर और सतना जिले में है।
जेल से लौटने के बाद डकैत बना
बताया जाता है कि बबुली कोल चित्रकूट जिले के डोंडा सोसाइटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरन के घर में 1979 में हुआ था। वह गांव के ही प्राथमिक स्कूल से क्लास आठ तक की पढ़ाई की। फिर इंटर की पढ़ाई के लिए बांदा चला गया। लेकिन इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्थिक स्थित ठीक न होने के चलते गांव आ गया और किसानी करने लगा। 2007 में पुलिस ने उसे ठोकिया की मदद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और तमंचा दिखाकर जेल भेज दिया। छह माह जेल के अंदर रहने के दौरान ठोकिया के साथी लाले पटेल से इसकी मुलाकात हो गई। जेल से छूटने के बाद बबली ने लाले को छुड़ाने के लिए जाल बिछाया। जब पेशी नें लाले आया तो उसे वहां से बबली कोल फरार करा ले गया और दोनों पाठा के जंगल में कूद गए।
बताया जाता है कि बबुली कोल चित्रकूट जिले के डोंडा सोसाइटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरन के घर में 1979 में हुआ था। वह गांव के ही प्राथमिक स्कूल से क्लास आठ तक की पढ़ाई की। फिर इंटर की पढ़ाई के लिए बांदा चला गया। लेकिन इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्थिक स्थित ठीक न होने के चलते गांव आ गया और किसानी करने लगा। 2007 में पुलिस ने उसे ठोकिया की मदद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और तमंचा दिखाकर जेल भेज दिया। छह माह जेल के अंदर रहने के दौरान ठोकिया के साथी लाले पटेल से इसकी मुलाकात हो गई। जेल से छूटने के बाद बबली ने लाले को छुड़ाने के लिए जाल बिछाया। जब पेशी नें लाले आया तो उसे वहां से बबली कोल फरार करा ले गया और दोनों पाठा के जंगल में कूद गए।
2012 में पहली बार चर्चा में आया
बबुली कोल पर हत्या का पहला मामला 2012 में दर्ज हुआ था। जहां बबली ने टिकरिया गांव के एक ही परिवार 2 सदस्यों की हत्या कर दहशत फैला दी। जून 2012 में बबली कोल ने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी और पैर और हाथ पर गोली मारकर घायल कर दिया था। सभी के ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी। जब वह इस जघन्य कांड को अंजाम दे रहा था, तभी इसके गैंग का एक साथी कैमरे से वीडियो बना रहा था।
बबुली कोल पर हत्या का पहला मामला 2012 में दर्ज हुआ था। जहां बबली ने टिकरिया गांव के एक ही परिवार 2 सदस्यों की हत्या कर दहशत फैला दी। जून 2012 में बबली कोल ने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी और पैर और हाथ पर गोली मारकर घायल कर दिया था। सभी के ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी। जब वह इस जघन्य कांड को अंजाम दे रहा था, तभी इसके गैंग का एक साथी कैमरे से वीडियो बना रहा था।
मुठभेड़ में बच निकला
डकैत बबुली पर पचास से ज्यादा हत्या और अपहरण के मामले दर्ज हैं। एमपी और यूपी की एसटीएफ टीम हमेशा पाठा के जंगलों में बबुली की तलाश में खाक छानते रहती है। 22 मई 2016 को मारकुंडी पुलिस के साथ पाठा के जंगलों में इसकी मुठभेड़ भी हुई। लेकिन वह बच निकला। उसके बाद से उसका टेरर और बढ़ता गया है। जानकार बताते हैं कि अब तो पुलिस भी उसके समाने जाने से कतराती है।
डकैत बबुली पर पचास से ज्यादा हत्या और अपहरण के मामले दर्ज हैं। एमपी और यूपी की एसटीएफ टीम हमेशा पाठा के जंगलों में बबुली की तलाश में खाक छानते रहती है। 22 मई 2016 को मारकुंडी पुलिस के साथ पाठा के जंगलों में इसकी मुठभेड़ भी हुई। लेकिन वह बच निकला। उसके बाद से उसका टेरर और बढ़ता गया है। जानकार बताते हैं कि अब तो पुलिस भी उसके समाने जाने से कतराती है।
यहीं नहीं 2018 में पाठा के जंगलों में बबली की गिरफ्तारी के लिए यूपी और एमपी एसटीएफ की टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया है। एक बार तो इसके गिरोह से पुलिस का सामना भी हुआ। दोनों ओर से जमकर गोलीबारी भी हुई लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
मोबाइल भी नहीं रखता
बबुली के बारे में बताया जाता है कि वह मोबाइल भी अपने पास नहीं रखता है। इतना ही नहीं महिलाओं के संपर्क में भी बबुली नहीं रहता है। साथ ही अपने साथियों को भी निर्देश देता है कि मोबाइल और महिला से दूरी बनाए रखो। मोबाइल न होने की वजह से पुलिस कभी इसका लोकेशन पता नहीं कर पाई और न पुलिस के पास इसकी कोई लेटेस्ट तस्वीर है। सतना के किसान का अपहरण कर वह उन्हीं के मोबाइल से फिरौती मांग रहा है। हालांकि बीच में एक खबर आई थी कि उसकी एक गर्लफ्रेंड है।
पुलिसकर्मियों की भी हत्या की है
इस डकैत का टेरर इतना है कि इसके सामने पुलिस भी जाने से कतराती है। पुलिस से इसका कई बार सामना तो हुआ लेकिन हर बार बच निकला। एक बार तो मुठभेड़ में एक थाना प्रभारी समेत चार जवानों की गोली मारकर हत्या भी कर दी थी।
इस डकैत का टेरर इतना है कि इसके सामने पुलिस भी जाने से कतराती है। पुलिस से इसका कई बार सामना तो हुआ लेकिन हर बार बच निकला। एक बार तो मुठभेड़ में एक थाना प्रभारी समेत चार जवानों की गोली मारकर हत्या भी कर दी थी।
सतना से किसान का अपहरण
उसके इलाके में पिछले सात साल से बबुली कोल का आतंक इतना बढ़ गया है कि पंद्रह दिन पहले ही यूपी के मानिकपुर से एक मावा व्यापारी का अपहरण कर फिरौती वसूला है। अब मध्यप्रदेश के सतना जिले के धारकुंडी थाना क्षेत्र के हरसेड गांव से शनिवार को एक किसान का अपहरण कर लिया है। किसान अवदेश द्विवेदी को वह उनके घर से रात को दो बजे उठाया। उसके बाद किसान के बेटे रूपेश द्विवेदी को फोन कर पचास लाख रुपये की फिरौती मांगी।
उसके इलाके में पिछले सात साल से बबुली कोल का आतंक इतना बढ़ गया है कि पंद्रह दिन पहले ही यूपी के मानिकपुर से एक मावा व्यापारी का अपहरण कर फिरौती वसूला है। अब मध्यप्रदेश के सतना जिले के धारकुंडी थाना क्षेत्र के हरसेड गांव से शनिवार को एक किसान का अपहरण कर लिया है। किसान अवदेश द्विवेदी को वह उनके घर से रात को दो बजे उठाया। उसके बाद किसान के बेटे रूपेश द्विवेदी को फोन कर पचास लाख रुपये की फिरौती मांगी।
मंगलवार को बबुली ने किसान के परिवार को फिर से फोन कर फिरौती मांगी है। साथ ही किसान की बात परिवार के लोगों से भी कराई है कि वह सुरक्षित हैं। वहीं, पुलिस की छह टीमें जंगल में किसान को मुक्त करवाने के लिए उतर गई है। मध्यप्रदेश की पुलिस ने यूपी पुलिस से भी मदद मांगी है। किसान को छुड़ाने के लिए पुलिस के तमाम आलाधिकारी सतना में कैंप किए हुए हैं।
सीएम भी हैं बेचैन
बबुली कोल के टेरर की गूंज सियासी हलकों में भी है। विपक्ष निशाना साध रही है तो सीएम भी बेचैन हैं। पिछले कुछ महीनों में सतना में कई बड़ी वारदातें सामने आई हैं। मध्यप्रदेश के सीएम ने इस घटना के बाद ट्वीट किया है कि सतना के हरसेड गांव से किसान अवधेश द्विवेदी की अपहरण की घटना गंभीर। घटना की पूरी जानकारी लेकर, पुलिस प्रशासन को अपहृत किसान को सकुशल वापस लाने के व घटना के दोषियों का पता लगाकर उन पर कड़ी कार्यवाही के दिये निर्देश।
बबुली कोल के टेरर की गूंज सियासी हलकों में भी है। विपक्ष निशाना साध रही है तो सीएम भी बेचैन हैं। पिछले कुछ महीनों में सतना में कई बड़ी वारदातें सामने आई हैं। मध्यप्रदेश के सीएम ने इस घटना के बाद ट्वीट किया है कि सतना के हरसेड गांव से किसान अवधेश द्विवेदी की अपहरण की घटना गंभीर। घटना की पूरी जानकारी लेकर, पुलिस प्रशासन को अपहृत किसान को सकुशल वापस लाने के व घटना के दोषियों का पता लगाकर उन पर कड़ी कार्यवाही के दिये निर्देश।