इस जमीन को मेट्रो ट्रेन कारपोरेशन के नाम पर कर दिया जाएगा। अभी ये जमीन राजस्व के साथ ही अलग-अलग विभागों को आवंटित है। कलेक्टर ने स्टड फार्म के साथ ही शहर के कुछ अन्य प्रोजेक्ट का मुआयना भी किया। स्टड फार्म पर करीब पांच एकड़ क्षेत्र में तालाब बना है, इसपर कलेक्टर ने आपत्ति ली। ये नजूल की जमीन है और इसपर इस तरह का तालाब कैसे बन गया? इस सवाल का जवाब भी मांगा।
गौरतलब है कि स्लॉटर हाउस का पानी इस तालाब में ही निकाला जाता है। इसके बाहर जहरीला पानी का बोर्ड भी लगाया है। संभव है इस तालाब का दायरा समेटने का काम भी हो।
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए एक अन्य डिपो करोद में सरकारी जमीन पर बनेगा। मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग इन चीफ जितेंद्र दुबे का कहना है कि अभी तो स्टड फार्म पर ही निरीक्षण हुआ, बाकी जमीन कारपोरेशन के नाम कराना शुरू करेंगे, ताकि दिक्कत न आए।
निरीक्षण भी किया :
मेट्रो अधिकारी ने कलेक्टर खाडे को मेट्रो के प्रस्तावित मार्ग की जानकारी दी। प्रस्तावित मेट्रो रूट नंबर एक करोंद से एम्स एवं रूट नंबर 2 भदभदा से रत्नागिरि के बीच कुछ हिस्से का निरीक्षण भी किया गया। निरीक्षण में निगमायुक्त आयुक्त प्रियंका दास, अपर कलेक्टर जीपी माली, जनरल मैनेजर मेट्रो मनीष गंगारेकर सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
मेट्रो अधिकारी ने कलेक्टर खाडे को मेट्रो के प्रस्तावित मार्ग की जानकारी दी। प्रस्तावित मेट्रो रूट नंबर एक करोंद से एम्स एवं रूट नंबर 2 भदभदा से रत्नागिरि के बीच कुछ हिस्से का निरीक्षण भी किया गया। निरीक्षण में निगमायुक्त आयुक्त प्रियंका दास, अपर कलेक्टर जीपी माली, जनरल मैनेजर मेट्रो मनीष गंगारेकर सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
प्रोजेक्ट के लिए कर्ज का संकट :
इससे पहले मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर फंड के इंतजाम को लेकर केंद्र और मध्य सरकार के बीच उभरे मतभेद की खबरों के बाद जापान इंटरनेशलन कार्पोरेशन (जाइका) की फायनेंस एक्सपर्ट कमेटी का भोपाल दौरा टल दिया था। टीम के सदस्य भोपाल और इंदौर के पहले फेज में शामिल रूट पर अनुमानित पैसेंजर संख्या, पीक आवर्स में ट्रैफिक लोड सहित रेवेन्यू रिटर्न की गारंटी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए अक्टूबर में आने वाले थे। इससे पहले जाइका ने गर्मियों में एलाइनमेंट, सोशल और एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट की टीम भेजकर प्रोजेक्ट के इंपेक्ट को बारीकी से समझा था।
इससे पहले मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर फंड के इंतजाम को लेकर केंद्र और मध्य सरकार के बीच उभरे मतभेद की खबरों के बाद जापान इंटरनेशलन कार्पोरेशन (जाइका) की फायनेंस एक्सपर्ट कमेटी का भोपाल दौरा टल दिया था। टीम के सदस्य भोपाल और इंदौर के पहले फेज में शामिल रूट पर अनुमानित पैसेंजर संख्या, पीक आवर्स में ट्रैफिक लोड सहित रेवेन्यू रिटर्न की गारंटी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए अक्टूबर में आने वाले थे। इससे पहले जाइका ने गर्मियों में एलाइनमेंट, सोशल और एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट की टीम भेजकर प्रोजेक्ट के इंपेक्ट को बारीकी से समझा था।
फायनेंस टीम लोन की सबसे महत्वपूर्ण शर्त पर राज्य का रुझान भी जानना चाहती थी जिसमें जापानी कंपनियों से 30 प्रतिशत कलपुर्जों की खरीदी की बात शामिल थी। जाइका टीम का दौरा टलने के बाद एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन को केंद्र के विभागों से निपटने का मौका तो मिल गया है लेकिन इसका असर वर्ष 2017 में जारी होने वाली लोन की किस्त पर पड़ सकता है। पहली किस्त के तौर पर भोपाल को 4177.76 करोड़ और इंदौर को 4260.30 करोड़ का फंड मिलना है।
भोपाल मेट्रो के पहले दो रूट :
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट तीन फेज में पूरा किया जाएगा। पहले फेज में भदभदा से रत्नागिरी तक 12.34 किमी और करोंद से एम्स तक 14.3 किमी लंबा रूट तैयार किया जाएगा। करोंद से एम्स के बीच 16 जबकि भदभदा से रत्नागिरी के बीच 14 स्टेशन बनेंगे। इसकी लागत 6962 करोड़ रुपए आंकी गई है।
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट तीन फेज में पूरा किया जाएगा। पहले फेज में भदभदा से रत्नागिरी तक 12.34 किमी और करोंद से एम्स तक 14.3 किमी लंबा रूट तैयार किया जाएगा। करोंद से एम्स के बीच 16 जबकि भदभदा से रत्नागिरी के बीच 14 स्टेशन बनेंगे। इसकी लागत 6962 करोड़ रुपए आंकी गई है।