मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीडब्ल्यूडी के उस प्रस्ताव को भी रोक दिया है, जिसमें पीडब्ल्यूडी ने एक्सप्रेस-वे को राज्य सरकार के फंड से बनाने की बात कही थी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि वे इस संबंध में पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर लाएं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस मॉडल पर कैसे काम किया जाए। दरअसल, भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। अब सरकार को वर्तमान सड़क को चौड़ा करने के लिए फिर से कैबिनेट में प्रस्ताव लाना होगा।
किसान कर्ज माफी, बाढ़ मुआवजे ने बिगाड़ा गणित
प्रदेश में किसान कर्ज माफी और हाल ही में बाढ़ आपदा ने सरकार का गणित बिगाड़ दिया है। अब सरकार का फोकस इस बात पर है कि कम पैसों में ज्यादा विकास कैसे किया जाए। इसी के चलते इंदौर-भोपाल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को बंद किया जा रहा है, जबकि सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी आगे बढ़ गई थी। हाल ही में कंसल्टेंसी फर्म फीडबैक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने मुख्यमंत्री को इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का मॉडल और इसके समानांतर ही कमर्शियल कॉरिडोर और सैटेलाइट टाउनशिप बनाने का प्रजेंटेशन भी दिखाया था।
वर्तमान भोपाल-इंदौर सड़क को सिक्स लेन कॉरिडोर बनाने के साथ ही इसके दोनों छोर पर कमर्शियल कॉरिडोर और सैटेलाइट टाउनशिप बनाने का प्लान है। सूत्रों के मुताबिक, यह काम कंसल्टेंसी फर्म फीडबैक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को ही दिया जाना प्रस्तावित है। दरअसल, इसी फर्म ने पहले वाले कॉरिडोर का प्लान तैयार किया है। ऐसे में प्लान को वर्तमान सड़क पर कैसे लागू किया जा सकता है, वही बेहतर तरीके से बता सकेगी। सूत्रों का कहना है कि डोढी ढाबे के पास हजारों एकड़ सरकारी जमीन पड़ी है, ऐसे में यहां इंडस्ट्रीयल हब बनाया जाना प्रस्तावित है। यहां से भोपाल-इंदौर की दूरी बराबर है।