भोपाल। इस्लामनगर का मूल नाम जगदीशपुर था, जहां राजपूतों का शासन था। 18वीं शताब्दी में अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान यहां आए और इस कस्बे को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने इसका नाम इस्लामनगर रखा। भोपाल में चैनशाह के षड्यंत्रों से बचने के लिए विधवा कमलापति और उसका एकमात्र पुत्र नवलशाह गिन्नौरगढ़ के किले में छुपे हुए थे। कमलापति ने पति की हत्यारे और उनके आक्रमणों से बचने के लिए दोस्त मोहम्मद से एक लाख रुपए में सौदा किया था। सरदार दोस्त मोहम्मद ने भोपाल पर आक्रमण कर रानी कमलापति को उनके पति के हत्यारों से मुक्ति दिलाई। रानी ने उस वक्त 50 हजार नकद दिए और बाकी की राशि के बदले भोपाल दे दिया। दोस्त मोहम्मद ने भोपाल शाही राज्य की स्थापना की और इस्लामनगर को उसकी राजधानी बनाया। उन्होंने भोपाल में इस खुशी में किला फतेहगढ़ बनाकर नवाबों की हुकूमत की शुरुआत की। सरदार दोस्त मोहम्मद का इस्लाम नगर पर शासन सीमित रहा। 1723 में निजाम-उल-मुल्क ने इस्लामनगर किले को अपने नियंत्रण में ले लिया। अंत में 1806 से 1817 तक यहां सिंधियों ने शासन किया। अब फिलहाल इसका नियंत्रण भोपाल के हाथों में है। यह जगह शानदार बागीचों से घिरा हुआ है। इस्लामनगर का मूल आकर्षण यहां के स्मारक हैं। चमन महल की खूबसूरती, रानी महल की भव्यता और गोंड महल की वास्तुशिल्पता को देखकर आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इस जगह पर भोपाल से बस और ऑटो रिक्शा के जरिए पहुंचा जा सकता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां होटल और एटीएम भी हैं। ठंड के समय में इस्लामनगर घूमना सबसे अच्छा माना जाता है। शहर और आसपास के क्षेत्र के पर्यटकों यहा रविवार को बड़ी संख्या में पिकनिक मनाने आते हैं।