विरोध के देखते हुए साउथ टीटी नगर में पेड़ों की कटाई का काम बड़े स्तर पर नहीं किया है। सडक़ बनाने के लिए की जा रही खुदाई से निकली मिट्टी और पत्थरों को पेड़ों की जड़ों पर डाला जा रहा है। पेड़ों के तने इनमें दब गए हैं। इन पेड़ों को जिंदा ही दफन किया जा रहा है।
अ लसुबह से देर रात तक मशीनों और ट्रक-डम्परों की कर्कश आवाज डराती है। क्विंटलों पत्थर और मलबा जड़ों में पटककर मुझे और मेरे जैसे अन्य पेड़ों को बेदर्दी से दफन किया जा रहा है। हर दिन यही डर रहता है कि कल का सूरज देखना नसीब होगा कि नहीं। ४० बरस से हमने लोगों को कभी तेज धूप की तपन से तो कभी तेज बारिश से बचाया। हजारों पंछियों को आसरा दिया, लेकिन हमारी सुध लेने की फिक्र किसी को नहीं है। डेढ़ बरस पहले तक हमारे आसपास कई परिवार बसते थे। बच्चे इर्द-गिर्द खेला करते थे… इन्हें देखकर सुकून मिलता था, पर अब यहां कोई नहीं आता। डम्परों-ट्रकों और विशालकाय मशीनों को पास आता देख दिल सहम जाता है, कहीं ये हमें रौंद न दें। पता नहीं हमें कब काट दिया जाए या पत्थरों और मलबों के नीचे दबा दिया जाए। मेरे जैसे कई हरे-भरे पेड़ों पर पहले ही बेदर्दी से आरी चला दी गई है। …सुना है कि प्लेटिनम प्लाजा के पास टनल बनाने के कारण रोड बंद की है, अब वाहनों की आवाजाही के लिए पेड़ों के बीच से सामानांतर रोड बनाई जाना है। शहरवासियों से बस यही विनती है कि हम जीना चाहते हैं, हमारी हर सांस आप सभी को जीवन देती है। तिल-तिल मारने के लिए जड़ों पर डाले गए मलबे को हटाएं ताकि हम भी खुली हवा में सांस ले सकें।