भोपाल

एक साथ टूट गए 11 परिवारों के सपनें, वो तो मां है न उसका दिल नहीं मानता

11 परिवारों के सपने पलक झपकते ही टूट गए। जिसने भी इस दर्दनाक हादसे के बारे में सुना, वह अवाक रह गया। अपनों को खोने वाले परिवारों को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा कुछ घंटे पहले ही तो ये कहकर गया था कि सुबह तक आ जाऊंगा…

भोपालSep 14, 2019 / 01:15 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

भोपाल. राजधानी के 11 परिवारों के सपने पलक झपकते ही टूट गए। जिसने भी इस दर्दनाक हादसे के बारे में सुना, वह अवाक रह गया। अपनों को खोने वाले परिवारों को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा कुछ घंटे पहले ही तो ये कहकर गया था कि सुबह तक आ जाऊंगा…, जिगर के टुकड़ों का इंतजार कर रहे परिवारों के लिए शुक्रवार की सुबह किसी कहर से कम नहीं थी।

12 से 25 साल की उम्र के ये लाड़ले उन्हें रोता-बिलखता छोड़ गए। एक-दूसरे का हर समय साथ निभाने वाले ये सभी दोस्त ऐसे जुदा होंगे, किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। कोई अपने बेटे की शादी की तैयारियां कर रहा था तो बुजुर्ग हो चले माता-पिता को आस थी कि उम्र के अंतिम पढ़ाव में उनका बेटा सहारा बनेगा, लेकिन हादसे ने उनसे उनका सबकुछ छीन लिया।

 

इकलौते बेटे को खोकर बेसुध हुई मां

जाते समय बोल गया था कि जल्द ही लौट आएगा। हालांकि मां ने उसे मना किया था, पर वह नहीं माना। अर्जुन के पिता करीब 12 साल से अलग रह रहे हैं। उसकी एक छोटी बहन वैष्णवी है। मामा सुनील शर्मा ने बताया अर्जुन 11वीं का छात्र था। उसका सपना फु टबॉलर बनने का था। अर्जुन की मां मेडिकल शॉप में नौकरी करती हैं।

हरि ने बहनों से कहा था, अच्छी नौकरी कर बनाऊंगा मकान

एक साथ टूट गए 11 परिवारों के सपनें, वो तो मां है न उसका दिल नहीं मानता

परिवार को लगता था कि दोनों बेटे काम पर लग गए हैं तो जल्द ही उनके अच्छे दिन आएंगे। परिजनों ने बताया कि तीन जनवरी को हरि का जन्मदिन वाले दिन सभी लोग इसे धूमधाम से मनाते थे। इस साल बोट क्लब पर जन्मदिन मनाया तो हरि ने चचेरी बहनों से कहा था कि वह जल्द ही अच्छी नौकरी करके भोपाल में अपना मकान बनाएगा। हरि की इन्हीं बातों को याद कर परिवार वाले फूट-फूटकर रो पड़ते हैं। भाई कमल ने बताया कि जब से हरि गुरुवार रात घर से ये कहकर गया था कि जल्द ही लौट आएगा, पर नहीं आया…।

काश वो बात मान कर रुक जाता

एक साथ टूट गए 11 परिवारों के सपनें, वो तो मां है न उसका दिल नहीं मानता
उसने कहा था कि सुबह तक आ जाऊंगा। उसकी जिद के आगे परिजनों को झुकना पड़ा। शुक्रवार सुबह बेटे के डूबने की खबर मिली तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा अब घर नहीं लौटेगा। मुन्नालाल तुरंत ही तालाब के लिए रवाना हुए। यहां बेटे का शव देखकर वह बेसुध हो गए।

परिवार का सहारा बनने का था सपना

परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उसे बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ी। आवेश के दोस्त बताते हैं कि वह मिलनसार और हंसमुख था। परिवार को सहारा देने के लिए वह नौकरी या कोई छोटा-मोटा बिजनेस करने का प्लान कर रहा था। गुरुवार को वह झांकी के साथ खटलापुरा गया था। वहां दोस्तों ने उसे नाव में बैठने से मना किया, पर वह नहीं माना।

एक महीने पहले मनाया 18वां बर्थडे

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राहुल के दोस्त सार्थक तिवारी ने बताया कि हम सेंट पॉल स्कूल में चौथी क्लास तक साथ पढ़े थे, राहुल बहुत अच्छा फुटबॉल खेलता था और उसका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबॉलर बनने का था। इसलिए उसने कमला देवी पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया था। हम छह अगस्त को उसके जन्मदिन पर मिले थे। वह हमेशा फुटबॉल मैच की बातें करता था। राहुल कुछ दिन पहले ही बाहर से फुटबॉल खेलकर आया था और अगले महीने मैच खेलने जाने वाला था। मां सिंधु मिश्रा बताती हैं कि राहुल हमेशा सभी का ख्याल रखता था। उन बच्चों की मदद के लिए हमेशा आगे रहता था, जिनके ऊपर परिवार का साया नहीं है।

परिवार का इकलौता कमाने वाला

सुनील ने बताया कि विशाल के घर में माता-पिता और छोटे भाई-बहन हैं। पिता पेंटर हैं, लेकिन बीमारी के कारण काम पर नहीं जाते। ऐसे में विशाल पर ही परिवार की जिम्मेदारी थी। उसने छोटी बहन की शादी कराई थी। उसे छोटे भाई की चिंता थी। वह स्मार्ट फोन नहीं रखता था। घरवाले उसकी शादी की बात चला रहे थे।
जो लौट के घर न आए

हेलमेट नहीं तो रोकते, आज क्यों नहीं

Bhopal boat accident emotional mom told

पुलिस थाने में बैठा लेती तो कम से कम उसकी जान बच जाती। इतनी बड़ी मूर्ति लेकर तालाब में क्यों जाने दिया। परिजनों ने बताया कि कुछ महीने पहले अरुण की कार कंपनी में नौकरी लगी थी तो उसकी सगाई की थी, कुछ दिनों बाद शादी होने वाली थी, लेकिन दो बड़े भाइयों सागर और करुण की शादी नहीं होने से अरुण ने अपनी शादी अगले साल तक टाल दी थी। घर पहुंची मंगेतर कंचन ने अरुण को नम आंखों से विदा किया।

एक हफ्ते पहले लगी बंगले पर नौकरी

Bhopal boat accident emotional mom told
एक हफ्ते पहले ही उसने मंत्री कमलेश्वर पटेल के 74 बंगला स्थित सरकारी बंगले पर काम करना शुरू किया था। राकेश ने बताया कि इसके बाद प्रवीण उनके पास आया और बोला… मामा अच्छा काम मिला है, कल ही मंत्री के साथ कार में बैठा था। छह महीने में परमानेंट कर देंगे। राकेश ने बताया कि प्रवीण के पिता श्री केबल में हेल्पर का काम करते हैं।

उम्र कच्ची मगर सद्भाव की बड़ी मिसाल था

Bhopal boat accident emotional mom told


परवेज के चार बड़े भाई और तीन बहने हैं। परिजनों ने बताया कि परवेज पांच साल की उम्र से गणेश और नवरात्रि उत्सव में शामिल हो रहा था। मां शफीका बेगम बताती हैं कि गुरुवार को रात दस बजे परवेज ने कहा था कि आखिरी बार दस रुपए दे दो, गणेश जी की झांकी के लिए अगरबत्ती लेना है। इसके बाद वह सुगंधित अगरबत्ती लेकर झांकी के साथ चला गया।

शुक्रवार सुबह सात बजे परिजनों को परवेज की मौत की खबर मिली तो घर में मातम पसर गया। मां बिलखते हुए बस यही कहती रहीं कि अल्लाह ने पति के बाद बेटे को भी अपने पास बुला लिया। परवेज की मौत की खबर से न केवल परिजन बल्कि मोहल्ले के लोग गमजदा हैं।

सहारा बनने से पहले दूर हुआ बेटा

Bhopal boat accident emotional mom told
शुक्रवार को जैसे ही रोहित की मौत की खबर बस्ती में पहुंची तो पिता बेटे को देखने की जिद करने लगे। पड़ोसी उन्हें मर्चुरी ले गए। पड़ोसियों ने बताया कि रोहित की छोटी बहन को जैसे ही पता चला कि उसका भाई अब इस दुनिया में नही है तब से वह बेसुध हो गई है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा। परिवार का एकमात्र सहारा अब उनसे दूर हो गया है।

2 अक्टूबर को था 18वां जन्मदिन

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