पत्रिका सर्वे में यह आए परिणाम
बसंत पंचमी- 44.1 प्रतिशत (बसंत पंचमी को राजा भोज का जन्म हुआ था)
1 जून 1949- 16.9 प्रतिशत (1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत में विलय हुआ था)
13 सितंबर 1972- 23.7 प्रतिशत
बसंत पंचमी- 44.1 प्रतिशत (बसंत पंचमी को राजा भोज का जन्म हुआ था)
1 जून 1949- 16.9 प्रतिशत (1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत में विलय हुआ था)
13 सितंबर 1972- 23.7 प्रतिशत
(13 सितंबर 1972 को सीहोर से अलग कर मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल को जिला बनाया था)
अन्य – 15.3 प्रतिशत किसका क्या मत भोपाल एक बहुत प्राचीन स्थान है। यहां पर आदिकाल से आदिमानव रहे हैं। श्यामला हिल्स, गुफा मंदिर आदि इनके रहवास थे, इसके प्रमाण मिले हैं। यहां लाखों साल पहले के शिलालेख मिले हैं, इससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए यह नगरी, यहां का तालाब आदि प्राचीन धरोहर हैं। इसलिए 18 अप्रेल विश्व धरोहर दिवस के दिन भी इसका जन्मदिन मनाया जा सकता है। यहां विद्वान राजा भोज ने भी शासन किया। उन्होंने तालाब सहित कई मंदिरों और नगरों को भी बसाया। भोजताल, भोजपुर मंदिर और भोजनगर गांव इसके प्रमाण हैं। उन्हीं के नाम पर इस नगरी का नाम भोजपाल था। इसलिए राजा भोज के जन्मदिन बसंत पंचमी पर भी भोपाल का जन्मदिन मनाया जाना उचित होगा।
— नारायण व्यास, पुरातत्वविद और इतिहासकार
अन्य – 15.3 प्रतिशत किसका क्या मत भोपाल एक बहुत प्राचीन स्थान है। यहां पर आदिकाल से आदिमानव रहे हैं। श्यामला हिल्स, गुफा मंदिर आदि इनके रहवास थे, इसके प्रमाण मिले हैं। यहां लाखों साल पहले के शिलालेख मिले हैं, इससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए यह नगरी, यहां का तालाब आदि प्राचीन धरोहर हैं। इसलिए 18 अप्रेल विश्व धरोहर दिवस के दिन भी इसका जन्मदिन मनाया जा सकता है। यहां विद्वान राजा भोज ने भी शासन किया। उन्होंने तालाब सहित कई मंदिरों और नगरों को भी बसाया। भोजताल, भोजपुर मंदिर और भोजनगर गांव इसके प्रमाण हैं। उन्हीं के नाम पर इस नगरी का नाम भोजपाल था। इसलिए राजा भोज के जन्मदिन बसंत पंचमी पर भी भोपाल का जन्मदिन मनाया जाना उचित होगा।
— नारायण व्यास, पुरातत्वविद और इतिहासकार
अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खान ने रानी कमलापति की सहायता की थी। बाद में उन्होंने भोपाल में अपनी राजधानी बनाई। इसलिए 10 सितंबर 1723 को उन्होंने फतेहगढ़ किला बनाने की शुरुआत की। उन्होंने फोर्ट बनाकर भोपाल नगर को बसाया था। इसलिए मेरा मत है कि 10 सितंबर को भोपाल का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए। क्योंकि उन्हीं ने भोपाल को एक नगर का रूप दिया। इसके पहले के शासकों के बारे में पुख्ता साक्ष्य नहीं मिलते हैं।
— रिजवान अंसारी, इतिहासकार जन्मदिन तो तभी मनाया जाता है जिस समय उस चीज का जन्म हुआ हो। भोपाल को राजा भोज ने ही बसाया था और यहां पर तालाब बनवाया था। उसके हिसाब से राजा भोज के जन्मदिन के नाम से ही भोपाल का नाम जाना जाता है। उसके हिसाब से बसंत पंचमी पर ही भोपाल का जन्मदिन मनाना चाहिए।
– पंडित ओम मेहता, वरिष्ठ समाजसेवी और पूर्व अध्यक्ष हिन्दू उत्सव समिति
– पंडित ओम मेहता, वरिष्ठ समाजसेवी और पूर्व अध्यक्ष हिन्दू उत्सव समिति
भोपाल का नाम ही भोजपाल से जन्मा है। इस नगरी की प्राचीनता भी तभी से मानी जाती है। इसलिए विलीनीकरण या इसके जिले बनने के पहले से ही भोपाल नगरी का अस्तित्व था। इसे बसाने का काम राजा भोज ने किया। उसके हिसाब से बसंत पंचमी पर राजा भोज के जन्मदिन पर ही भोपाल का जन्मदिन मनाया जाना उचित होगा।
– ईशदयाल शर्मा, सीनियर सिटीजन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकरदयाल शर्मा के भाई