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अंधाधुंध निर्माण से बड़े तालाब के वेटलैंड का अस्तित्व खतरे में है। विशेषज्ञों के मुताबिक तालाब और जलीय जीवन को बचाने के लिए एफटीएल की बजाय वेटलैंड से निर्माण की दूरी तय की जाए। इससे एफटीएल से कम से कम 500 मीटर तक का दायरा नो कंस्ट्रक्शन जोन बनेगा।
मालूम हो कि बड़ा तालाब का एफटीएल 31 वर्ग किमी है, जबकि वेटलैंड की परिधि 79 वर्ग किमी। ये एफटीएल से तकरीबन दोगुना अधिक है। वीआईपी रोड से बैरागढ़ और भदभदा समेत ग्रामीण क्षेत्रों में एफटीएल में वेटलैंड काफी आगे तक है। मौजूदा स्थिति ये है कि बैरागढ़, इंदौर रोड, फंदा तक वेटलैंड में धड़ल्ले से निर्माण हो गए हैं। कई बड़े संस्थान संचालित हो रहे हैं।
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भरपूर बारिश से हकीकत आई सामने
पिछले कुछ सालों में हुई कम बारिश के कारण बड़ा तालाब का वेटलैंड सूखी जमीन में तब्दील हो गया था, लेकिन इस मानसून सीजन में हुई भरपूर बारिश ने वास्तविक वेटलैंड को सामने ला दिया है। गौरतलब है कि बड़ा तालाब वेटलैंड में एफटीएल के बाद प्रति हेक्टेयर 1500 पेड़ तय किए गए थे। हाल ही में एक शैक्षणिक संस्थान ने सर्वे किया तो 965 पेड़ प्रति हेक्टेयर मिले। बफर जोन के लिए एफटीएल से 17 लाख पेड़ों की अनिवार्यता तय की गई है।
बड़े तालाब का एफटीएल 32 वर्गकिमी है, जबकि वेटलैंड की परिधि 79 वर्ग किमी
एफटीएल से निर्माण की अनुमति तय करने से वेटलैंड के अस्तित्व पर है संकट
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तालाब संरक्षण: नहीं किए ये जरूरी उपाय
06 मीटर तक गाद की खुदाई की जानी थी, लेकिन तीन मीटर ही की गई।
33 चेक डैम बनाए जाना थे नालों पर, ताकि तालाब में गाद न आए।
230 सिल्ट ट्रैप का निर्माण किया जाना था, लेकिन दो ही बनाए गए।
500 धोबी घाट बनाए जाना थे, जिससे प्रदूषण रुके। नहीं बनाए गए।
पानी उतरते ही शुरू हो जाते हैं अतिक्रमण
बड़ा तालाब का वेटलैंड एरिया 3420 हेक्टेयर (परिधि 79 वर्ग किमी) है। मानसून के पहले वेटलैंड 1911 हेक्टेयर रह जाता है। प्री मानसून में दलदली क्षेत्र का दायरा 1425 हेक्टेयर रहता है। नेशनल वेटलैंड एटलस के मुताबिक यहां सबसे अधिक अतिक्रमण का खतरा है।
तालाब संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसे ध्यान में रखते हुए ही योजनाएं बनाई जा रही हैं। सभी पक्षों की तकनीकी पड़ताल के बाद ही तालाब पर फैसला लिया जाएगा। – जयवद्र्धन सिंह, मंत्री, नगरीय प्रशासन