भोपाल

7 साल के बच्चे को था ‘ब्लड कैंसर’, भोपाल AIIMS ने रच दिया इतिहास

Bhopal AIIMS: संस्थान ने बच्चों में रक्त कैंसर का सफल हेप्लो आइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा है।

भोपालDec 25, 2024 / 12:42 pm

Astha Awasthi

Bhopal AIIMS

Bhopal AIIMS: एम्स में सात साल के ब्लड कैंसर पीड़ित बच्चे में हेप्लो आइडेंटिकल (आधे ही जीन एक जैसे होना) बौनमैरो ट्रांसप्लांट किया गया। इस एक माह तक 24 घंटे निगरानी में चलने वाली जटिल प्रक्रिया से बच्चे को नया जीवन मिला। एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि संस्थान ने बच्चों में रक्त कैंसर का सफल हेप्लो आइडेंटिकल बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा है।

30 फीसदी से कम इस ट्रांसप्लांट की सफलता

एम्स के हीमेटोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव ढींगरा ने बताया कि यह सामान बौनमेरौ ट्रांसप्लांट से कई गुना अधिक जटिल प्रक्रिया है। जहां एक तरफ मैच्ड बोनमैरो ट्रांसप्लांट में 12 के 12 जीन डोनर और रिसीवर के मेल खाते हैं। इसमें भी सफलता दर 60 फीसदी होती है। हेप्लो आइडेंटिकल में सिर्फ 6 जीन ही मेल खाते हैं। इस ट्रांसप्लांट के सफल होने की दर सिर्फ 30 फीसदी के करीब रहती है।

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फुल बॉडी रेडिएशन

डॉ. ढींगरा ने कहा कि सबसे पहले पीड़ित बच्चे के भाई से स्टेम सेल निकाले गए। इसके बाद बच्चे को फुल बॉडी रेडिएशन दिया गया। जिससे उसकी बॉडी इंफेक्शन मुक्त और इम्यूनिटी भी बेहद कम हो जाए। इससे रिसीवर की बॉडी डोनर से आए स्टेम सेल को खत्म नहीं कर पाती है।
इसके साथ ध्यान रखा गया कि डोनर के स्टेम सेल रिसीवर के सेल्स को मारने का कार्य ना करें। यह एक बेहद और बहु स्तरीय प्रक्रिया है। जिसमें कई फैक्टर्स को एक साथ मॉनिटर करना होता है।

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