भोपाल

दुनिया में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के मरीज इस शहर में, जीभ कैंसर मामले में भी देश में पहले पायदान पर

गैस त्रासदी जिसने भोपाल को वैश्विक पटल पर ला दिया, आज भी सारी दुनिया इसे याद रखती है। अब कहीं ऐसा न हो कि ओरल कैंसर का नाम आते ही दुनिया में सबसे पहले भोपाल का नाम याद किया जाए। इस खतरनाक स्थिति को बयां करती ये रिपोर्ट आपको भी चौंका देगी।

भोपालOct 17, 2022 / 02:19 pm

shailendra tiwari

भोपाल। सरकार की सख्ती और गंभीर रोगों की चेतावनी के बावजूद राजधानी में पान-मसाला सिगरेट और गुटखे का कारोबार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। पहले जहां तंबाकू का चलन था, वहीं अब आकर्षक पैकिंग में गुटखे बिक रहे हैं। इसका असर भी भोपाल की सेहत पर नजर आ रहा है। आने वाले 10 सालों में भोपाल के हर 10 में से एक युवा मुंह और गले, लीवर के कैंसर से पीडि़त नजर आएगा। वर्तमान स्थिति यह है कि तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करने वाले 13 से 19 साल के किशोरों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं गांधी मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट आपको अलर्ट करती है क्योंकि ओरल कैंसर के मामलों में भोपाल देश में नहीं बल्कि दुनिया भर में नंबर 1 पर है।

सरकार ने गुटखों पर प्रतिबंध लगाया तो निर्माताओं ने सादे और जर्दायुक्त पैकिंग अलग-अलग बनाना शुरू कर दिया। नतीजतन, अकेले राजधानी में ही करीब 10 लाख रुपए रोज के गुटखे की खपत है। पान-मसाला, बीड़ी और सिगरेट की खपत अलग से है। मांग बढऩे के साथ ही दो नंबर का व्यवसाय चरम पर है। हाल ही में राज्य कर विभाग द्वारा की गई छापेमारी में इसके सबूत मिले कि गुटखा, पान-मसाला, सिगरेट आदि का दो नंबर का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है।

 

टैक्स के बावजूद मोटी कमाई
दरअसल, गुटखे-सिगरेट, पान मसाले पर सर्वाधिक टैक्स है। 28 प्रतिशत जीएसटी के अलावा सेस भी लगता है। टैक्स ज्यादा होने के बाद दो नंबर में यह व्यवसाय बढ़ता ही जा रहा है। गुटखे का उत्पादन मुख्य रूप से कानपुर में होता है। इसके अलावा इंदौर से ाी गुटखे की खेप आती है। भोपाल में गुटखे तैयार होते है।

ये कहते हैं पान मसाला विक्रेता
पान मसाला विक्रेता संजीव जैन का कहना है कि पान मसाला में टैक्स ज्यादा लगता है। अब प्रतिस्पर्धा के चलते मुनाफा कम हो गया है। हालांकि पान मसाला, गुटखा का चलन बढ़ रहा है। पान विक्रेता बंटी सिंह का कहना है कि पाउचों की खपत बढऩे से पान-सुपारी की बिक्री घट गई है। पाउचों के कारण पान महंगे हो गए हैं।

तंबाकू का सेवन करने वाले किशोरों की बड़ी संख्या
प्रदेश में 13 से 19 साल के किशोरों में 5 फीसदी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) में यह बात सामने आई है। देशभर की बात करें तो यह आंकड़ा 8.5 फीसदी है। तंबाकू सेवन के मामले में मध्यप्रदेश देश में 29वें नंबर पर है।

जीभ कैंसर के मरीजों में देश में भोपाल नंबर 1 पर
गुटखा, पान, खैनी आदि का सेवन करने से भोपाल में जीभ के कैंसर के मरीजों की संख्या इतनी हो गई कि भोपाल पहले स्थान पर है। आईसीएमआर की नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में स्थिति यह है कि एक लाख में से 4.1 फीसदी को यह कैंसर हो रहा है। वहीं मप्र मुंह के कैंसर के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है। यहां एक लाख में से 15.9 फीसदी लोग मुंह के कैंसर से ग्रसित हैं।

सिकुड़ जाते हैं लिवर और हार्ट
शहर के जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में तंबाकू या गुटखे की लत के चलते कैंसर के शिकार मरीजों पर दो साल तक रिसर्च की गई थी। इसका आधार अमेरिकन साइंटिफिक सोसायटी की एक स्टडी को बनाया गया था। इसमें सामने आया कि तंबाकू या गुटखे का नियमित सेवन करने वालों का लिवर और हार्ट सिकुड़ जाते हैं। हॉस्पिटल राजधानी में इस रिसर्च को इस तथ्य के मद्देनजर कर रहा है कि भोपाल में विश्व के सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के मरीज पाए जाते हैं। इस रिसर्च में जांच का मुख्य बिंदु था कि गुटखा व तंबाकू चबाने वालों को कैंसर के अलावा कौन सी बीमारियां होती हैं? इसके तहत ओरल कैंसर के मरीजों के हार्ट, लिवर और टेस्टीस्टीरोन हार्मोन के लेवल की जांच की गई।

लिवर सिकुडऩे से कैंसर व अल्सर का खतरा
गुटखा खाने से अगर किसी व्यक्ति का लिवर सिकुड़ रहा है, तो उसे सेकंड स्टेज का कैंसर हो सकता है। इसकी शुरुआत लिवर में अल्सर (छालों) से होती है।

ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा
हमीदिया अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के मुताबिक तंबाकू खाने से हार्ट की कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ती हैं। आर्टीज में कोलेस्ट्रोल की प्लेट बन जाती हैं, जो खून की सप्लाई में रुकावट पैदा करती हैं। इससे व्यक्ति को हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और लकवा की शिकायत तक होने की आशंका बनी रहती है।

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