ऐसा खून में पित्त रस (बिले) की अधिकता की वजह से होता है। रक्त में बिलरुबिन की मात्रा बढ जाती है। दरअसल हमारा लिवर पित्त रस का निर्माण करता है जो भोजन को पचाने और शरीर के पोषण के लिये जरूरी है। यह भोजन को आंतों में सडने से रोकता है।
इसका काम पाचन प्रणाली को ठीक रखना है। अगर पित्त ठीक ढंग से आंतों में नहीं पहुंचेगा तो पेट में गैस की शिकायत बढ जाती है और शरीर में जहरीले तत्व एकत्र होने लगते हैं।
जानकारों के अनुसार गर्मियां बढ़ने पर पीलिया के मरीज बढ़ जाते है। क्योंकि गर्मियों में लोग बाहर का खाना ज्यादा खाते हैे और खाने की क्वालिटी को भी नहीं देखते। लेकिन पीलिया से बचने के लिए सावधानी बरतनी आवश्यक हैं। इसके तहत दूषित पेयजल सहित बाजार में कटे व बिना ढके फल खाने व तली हुई वस्तुओं के सेवन से परहेज करना चाहिए।
पीलिया के रूप (पीलिया के लक्षण के साथ)…
1. हेमोलाइटिक जांडिस: इस स्थिति में खून के लाल कण नष्ट होकर कम होने लगते हैं। परिणाम स्वरूप रक्त में बिलरूबिन की मात्रा बढती है और रक्ताल्पता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
2. ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस: इस प्रकार के पीलिया में बिलरूबिन के ड्यूडेनम को पहुंचने में बाधा पडने लगती है।
3. तीसरे प्रकार का पीलिया लिवर के सेल्स को जहरीली दवा(टॉक्सिक ड्रग्स) या विषाणु संक्रमण (वायरल इन्फेक्शन) से नुकसान पहुंचने के कारण होता है।
त्वचा का और आंखों का पीला होना तीनों प्रकार के पीलिया का मुख्य लक्षण है।
पीलिया के कुछ और प्रमुख लक्षण-
1. अत्यंत कमजोरी
2. सिरदर्द
3. ज्वर होना
4. मितली होना
5. भूख न लगना
6. अतिशय थकावट
7. सख्त कब्ज होना
8. आंख जीभ त्वचा और मूत्र का रंग पीला होना।
वहीं अवरोधी पीलिया अधिकतर बूढे लोगों को होता है और इस प्रकार के रोग में त्वचा पर जोरदार खुजली महसूस होती है।
क्या है पीलिया…
डॉ. वीरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस ‘ए’ या हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है।
घरेलू उपाय : पीलिया ठीक करने के सरल उपचार…
उचित भोजन और नियमित व्यायाम पीलिया की चिकित्सा में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन रोगी की स्थिति बेहद खराब हो तो पूर्ण विश्राम करना जरूरी है। पित्त वाहक नली में दबाव बढने और रूकावट उत्पन्न होने से हालत खराब हो जाती है।
ऐसी गंभीर स्थिति में 5 दिनों तक अन्न न लेना उचित है। इस दौरान संतरा, नींबू , नाशपती, अंगूर , गाजर ,चुकंदर ,गन्ने का रस पीना फायदेमंद होता है।
रोगी को रोजाना गरम पानी पीने को दें। इससे आंतों में स्थित विजातीय द्रव्य नियमित रूप से बाहर निकलते रहेंगे और परिणामत: आंतों के माध्यम से अवशोषित होकर खून में नहीं मिलेंगे।
आयूर्वेद के डॉ. राजकुमार के अनुसार इस स्थिति में पांच दिनों तक फलों के जूस रोक देना चाहिए, जबकि इसके बाद 3 दिन तक सिर्फ फल खाना चाहिये। बिना जूस के 5 दिन बीत जाने के बाद ये उपचार प्रारंभ करें-
: सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी में एक नींबू निचोडकर पियें।
: नाश्ते में अंगूर ,सेवफल पपीता ,नाशपती तथा गेहूं का दलिया लें । दलिया की जगह एक रोटी खा सकते हैं।
: मुख्य भोजन में उबली हुई पालक, मैथी, गाजर, दो गेहूं की चपाती और एक गिलास छाछ लें।
: करीब दो बजे नारियल का पानी और सेवफल का जूस लेना चाहिये।
: रात के भोजन में एक कप उबली सब्जी का सूप, गेहूं की दो रोटी,उबले आलू और उबली पत्तेदार सब्जी जैसे मेथी ,पालक ।
: रात को सोते वक्त एक गिलास मलाई निकला दूध दो चम्मच शहद मिलाकर लें।
इसके साथ ही सभी वसायुक्त पदार्थ जैसे घी ,तेल , मक्खन ,मलाई कम से कम 15 दिन के लिए उपयोग न करें। इसके बाद हल्की मात्रा में मक्खन या जेतून का तैल उपयोग कर सकते हैं। जबकि ज्यादा मात्रा में हरी सब्जियों को खाना चाहिए। कच्चे सेवफल और नाशपती इस समय खास लाभदायक सिद्ध होते हैं।
वहीं इस दौरान दालों का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि दालों से आंतों में फुलाव और सडांध पैदा हो सकती है। लीवर के सेल्स की सुरक्षा की दॄष्टि से दिन में 3-4 बार नींबू का रस पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
इसके अलावा मूली के हरे पत्ते पीलिया में अति उपादेय है। पत्ते पीसकर रस निकालकर छानकर पीना उत्तम है। इससे भूख बढेगी और आंतें साफ होंगी।
जानकारों के मुताबिक इस रोग से बचने के लिए रोगी अनेक तरह के उपचार और एंटी बायोटिक का सहारा लेता है। वहीं ऐसे समय रोगी व उसके परिजनों दोनों के मन में यह बात आती है कि पीलिया में कौन से आहार खाने चाहिए और कौन से नहीं खाने चाहिए।
ये खाएं! मिलेगी राहत होगा फायदा…
1. मूली और पपीते के पत्तों का सेवन .
मूली की पत्तियों को पीसकर, उसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर मूली की पत्तियों का रस रोजाना पीएं। इस उपाय से दस दिन के अंदर पीलिया से आराम मिल जाता है। इसके अलावा पपीते के पत्ते पीलिया के उपचार का बेहद फायदेमंद घरेलू नुस्ख है। इसके लिए एक चम्मच पपीते की पत्ते के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाकर, रोजाना तकरीबन दो हफ्तों तक खाएं।
2. गन्ना और टमाटर खायें.
गन्ना, पाचन क्रिया को दुरूस्त करता है साथ ही लीवर को भी बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है। उपचार के लिए एक गिलास गन्ने के रस में नींबू का रस मिलाकर रोजाना दो बार पीएं। इसके अलावा पीलिया होने पर एक गिलास टमाटर के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट पीएं। आपको आराम मिलेगा।
पीलिया से बचने के लिए नमक से दूर रहने के सलाह दी जाती है। नियमित आधार पर नमक का सेवन लीवर की कोशिकाओं की क्षति को बढ़ाता है। यह पीलिया की रिकवरी को कम करता है। इसलिए अचार जैसे नमक युक्त खाद्य पदार्थों से बचें। इसके अलावा पीलिया होने पर चाय और कॉफी जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। कैफीन से दूर रहकर पीलिया रोगी तेजी से रिवकरी कर सकता है।
मीट और अंडे से बचें.
हालांकि यह पीलिया के मूल कारण पर निर्भर करता है, कि प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है या नहीं। टर्की, चिकन और मछली जैसे लीन प्रोटीन से बचना चाहिए।
लेकिन बींस, नट्स और टोफॅ जैसे वनस्पति प्रोटीन को शमिल किया जाना चाहिए। लीनर प्रोटीन को ध्यान में रखते हुए संतृप्त फैट का सेवन कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा अंडे में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है जो पचाने में बहुत मुश्किल होता है।
चूंकि लीवर प्रोटीन पचाने की क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए अंडे के रूप में प्रोटीन युक्त आहार से परहेज किया जाना चाहिए। अंडे को अचछी तरह से पचा पाना मुश्किल होता है।
दालें, फलियां और बींस
दालें और फलियां पाचन में समस्या पैदा करते हैं इसलिए पीलिया के दौरान इनसे बचा जाना चाहिए। इसमें प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा होती है। इसके अलावा दालें और फलियां आंत में जमा होने लगती है, इसलिए इनसे बचना चाहिए।
पीलिया के दौरान शरीर, प्रोटीन से नाइट्रोजन उगलने की क्षमता खो देता है। ऐसा लीवर की चयापचय में ठीक से काम न करने की अक्षमता के कारण होता है। लेकिन आप लीन प्रोटीन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह आपके शरीर को अतिरिक्त काम का बोझ नहीं देता है।