भोपाल। मानसून के मौसम में हमें चिंता रहती है कि कौन-सी सब्जी खाएं और कौन-सी नहीं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी सब्जी के बारे में जिसे लोग ‘मीठा करेला’ भी कहते हैं। इसे दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जी भी माना जाता है। औषधीय गुणों (medicinal properties) से भरपूर यह सब्जी बारिश के दिनों में ज्यादा खाई जाती है। आप इसके फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे।
जंकफूड के दौर में शरीर में इम्युनिटी (immunity) बनाए रखना अब इंसान के लिए चुनौती बन गया है। इस सब्जी से आपका शरीर बलवान बना रहेगा और कई बीमारियों से लड़ता रहेगा। इसे मध्यप्रदेश में ककोड़े (kakora sabji), बुंदेलखंड में पड़ोरा और कुछ जगह कंटोला (Spiny gourd) भी कहते हैं। कुछ भारतीय इसे मीठा करेला भी कहते हैं। यह दिखने में करेला का गोल रूप नजर आता है। लेकिन, यह कड़वा नहीं होता है।
सबसे अधिक है इसमें प्रोटीन
आयुर्वेद में इससब्जी को सबसे ताकतवर सब्जी के रूप में बताया गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें प्रोटीन की मात्रा काफी होती है। भारतीय खान-पान में बनने वाली सभी सब्जियों में सबसे ज्यादा प्रोटीन इसमें बताया जाता है। इसमें मीट से भी 50 फीसदी ज्यादा प्रोटीन होता है।
कई बीमारियों को रखता है दूर
ककोड़े रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स हेल्थ को ठीक रखते हैं। यह एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होती है। इसमें ल्युटेन जैसे केरोटोनोइड्स नेत्र रोग, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर की रोकथाम में सहायत हैं। यदि आप इसकी सब्जी नहीं खाना चाहते तो इसका अचार भी बनाकर रख सकते हैं। यह काफी पाचक भी होता है।
ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल
इसकी खासबात यह भी है कि यह ब्लड प्रेशर और वजन को भी नियंत्रित करता है। इसमें मोमोरडीसिन तत्व और फाइबर की अधिक मात्रा शरीर के लिए रामबाण बताई गई है। यह रक्तचाप और वजन को नियंत्रित करता है। प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है जबकि कैलोरी कम मात्रा में होती है। यदि 100 ग्राम कंटोला की सब्जी का सेवन करते हैं तो 17 कैलोरी प्राप्त होती है, यह वजन घटाने के लिए बेहतर है।
बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा मिलता है पड़ोरा
पड़ोरा नाम से यह मीठा करेला बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा मिलता है। पन्ना जिले में यह अपनी गुणवत्ता के कारण 200 रुपए किलो तक बिक रहा है। यह जंगल में भी काफी उगता है। आदिवासी लोग इसे जंगली पड़ोरा कहते हैं।
बाजार में 200 रुपए किलो बिक रहा जंगली पड़ोरा
औषधीय जड़ी-बूटियों और वनोपज से समृद्ध बुंदेलखंड के पन्ना के जंगलों में इन दिनों पड़ोरा की बहार है। पन्ना के बाजार में जंगली पड़ोरा 200 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
150 रुपए किलो खरीदते हैं
दुकानदार इसे आदिवासियों से 150 रुपए किलो खरीदते हैं। फिर बाजार में ठेला लगाकर 200 रुपए प्रति किलो की दर से बेचते हैं। यह इसी सीजन में सिर्फ 15 दिन मिलता है, इसलिए मंहगा होने के बावजूद हर कोई इसका स्वाद लेना चाहता है। यही वजह है कि ठेला लगाने के कुछ घंटे में ही पूरा पड़ोरा बिक जाता है।
पड़ोरा की खेती को बढ़ावा दे रहा विभाग
कृषि और उद्यानिकी विभाग पड़ोरा की खेती को प्रोत्साहित भी करता है। इसकी बुवाई का समय जून-जुलाई है। पड़ोरा के बीज को एक बार बोने के बाद इसके मादा पौधे लगभग 8 से 10 वर्ष तक फल देते हैं। इस पर कीड़ों और अन्य मौसमी बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है। हालांकि मक्खी पड़ोरा के फलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। पड़ोरे का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए भी किया जाता है। यह कफ, खांसी, अरुचि, वात, पित्त और हृदय में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है। पड़ोरा के फलों को खाने से डायबिटीज पर भी काबू पाया जा सकता है।
कद्दूवर्गीय फसल है पड़ोरा
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पड़ोरा एक कद्दूवर्गीय फसल है। यह पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में सहायक होता है। इसकी खेती कर किसान समृद्ध बन सकते हैं। उद्यानिकी विभाग ने किसानों से इसकी खेती करने की अपील की है। पन्ना के जंगली क्षेत्रों में पड़ोरा बिना उगाए उगता है, इसलिए आदिवासी इसे तोड़कर बाजार में बेचते हैं। आस-पास के लोग इसको सब्जी के रूप में जमकर इस्तेमाल करते हैं।