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इस तरह तीन मां-बेटियों ने कराई एक मस्जिद की तामीर
भोपाल की दूसरी खातून नवाब सिकंदर जहां बेगम ने सन1860 में अपनी मां पहली खातून नवाब गौहर कुदसिया बैगम के हाथों संगे बुनियाद रखवाकर मोती मस्जिद को बनवाने का आगाज कराया।नवाब सिकंदर जहां बेगम जहीन और खुली सोच के साथ दूर की सोच रखने वाली हुक्मरां मानी गईं। उनके वक्त में मस्जिदों के अलावा कई यादगार इमारतें सड़कें और पुलों की तामीर की गई। लेकिन, सिकंदर जहां अपनी हयात में मोती मस्जिद को मुकम्मल नहीं करा सकीं। उनके इंतेकाल के बाद इस मस्जिद की तामीर को आगे बढ़ाया उनकी बेटी नवाब शाहजहां बेगम ने भोपाल रियासत की नवाब बनने के बाद।
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वास्तु कला की सबसे अच्छी मिसाल है ये मस्जिद
इस तरह इस शाही मस्जिद के बनने में तीन मां बेटियों के हाथों का इस्तेमाल हुआ। इस मस्जिद को एक बुलंद कुर्सी पर लाल पत्थरों से बनाया गया है। इसमें तीन सीढ़ी नुमा दरवाजे हैं। मस्जिद के तीन तरफ तीन दालान हैं, वजू के लिए दो होज़ भी हैं। ये मस्जिद वास्तु कला की सबसे अच्छी मिसाल मानी जाती है।