भोपाल देश की एकमात्र राजधानी है जो टाइगर कैपिटल होने के साथ बाघों और मनुष्यों के सहजीवन का नमूना भी है। यानी यहां अर्बन टाइगर हैं। यानी अर्बन टाइगर जो इंसानी चहल-कदमी के साथ रहने के आदी हो जाते हैं। वे उन पर हमला नहीं करते, बल्कि अपना-अपना रास्ता देख लेते हैं।
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शहर से लगे कोलार, केरवा, चंदनपुरा वन क्षेत्र में मवेशी चराने से लेकर पिकनिक मनाने लोग हर रोज टाइगर के क्षेत्र में पहुंचते हैं। जबकि यहां 1 बाघिन और 4 चार शावक घूमते हैं। समरधा में भी करीब 18 टाइगर हैं। आबादी और जंगल के बीच करीब 18 कि.मी की टूटी फेंसिंग खतरा बनी हुई है।
यह हिस्सा टाइगर कॉरीडोर
वन विभाग ने चंदनपुरा, कलियासोत सहित बड़े हिस्से को टाइगर कॉरिडोर घोषित कर रखा है। वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी के.सी मल्ल के अनुसार टाइगर क्षेत्र में निर्माण हो गए हैं। यहां कई डेयरियां हैं। पशु चराए जा रहे हैं। इसलिए कभी भी हादसा हो सकता है। यह भी पढ़ें- बड़ा हादसा : छत गिरने से मलबे के नीचे दबा बच्चा, मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम, देखें Video आबादी के बीच टाइगर
हाल में ही चंदनपुरा में बाघ नजर आया था। भोज यूनिवर्सिटी कै्पस में तेंदुआ का मूवमेंट दर्ज हुआ था। मेनिट परिसर में भी एक टाइगर ने दस्तक दी थी। यानी आबादी के बीच टाइगर आते रहे हैं।